भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है- कुलाधिपति आई.पी.मिश्रा



भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई के बेसिक सांइस विभाग द्वारा 28 फ़रवरी विज्ञान दिवस के अवसर पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सुनील कुमार साहू, रिसर्च साइंटिस्ट, बीजीआई शेन्जेन, चीन एवं डॉ. रजनीकान्त शर्मा, साइंटिस्ट-सी, केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड, रायपुर रहें। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलाधिपति आई.पी. मिश्रा, कुलाधिपति, श्री शंकराचार्य, प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई की गरिमामई उपस्थिति रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. डॉ. सदानंद शाही, कुलपति, श्री शंकराचार्य, प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई ने की। मुख्य अतिथि डॉ. सुनील कुमार साहू ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से छात्राओं को प्लांट जीनोम के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। वहीँ दुसरे अतिथि डॉ. रजनीकान्त शर्मा ने पानी की गुणवत्ता को पहचानना और उसे बेहतर बनाने की तकनीक पर चर्चा की.
कुलाधिपति आई.पी. मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंधु घाटी के प्रमाणों से वहाँ के निवासियों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। कुलाधिपति ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक समृद्ध विरासत होने के बाद भी औपनिवेशिक शासन के कारण स्वतंत्रता प्राप्ति तक भारत अन्य देशों की तुलना में इन क्षेत्रों में पीछे हो चुका था। स्वतंत्रता के बाद भारत में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विकास के कई प्रयास किये गए, किंतु वर्तमान समय तक इस क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि समाज में विज्ञान के लिये सकारात्मक माहौल बनाने की आवश्यकता है।

कुलपति प्रो. शाही ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि भारतीय भौतिक विज्ञानी सी.वी. रमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की खोज की थी। उन्हें साल 1930 में “प्रकाश के प्रकीर्णन पर उनके काम और रमन प्रभाव की खोज के लिए” नोबल पुरस्कार मिला था। प्रो. शाही ने कहा कि 1986 में, नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने की सिफारिश की थी जिसके बाद भारत सरकार ने “रमन प्रभाव” की खोज की घोषणा के उपलक्ष्य में विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।कुलपति शाही ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भारत की G20 अध्यक्षता के आलोक में “ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेलबीइंग” की थीम के तहत विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर छात्राओं के लिए आयोजित 01मिनट टॉक शो, पोस्टर प्रदर्शनी, साइंटिफिक मॉडल प्रदर्शनी का आयोजन किया जिसमें यूनिवर्सिटी के इतर अन्य विद्यालयों, महाविद्यालयों से बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया। उक्त कार्यक्रम का संयोजन डॉ. प्राची निमजे, अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं बेसिक साइंस के प्राध्यापकों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. परख सहगल, सहायक प्राध्यापक, लाइफ साइंस द्वारा किया गया। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी परिवार के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों कर्मचारियों-अधिकारियों एवं अन्य दुसरे विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापकों की गरिमामई उपस्थिति रही।

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