विश्व का एक बड़ा तबका वैकल्पिक चिकित्सा की ओर न केवल बढ़ रहा है बल्कि उसके विस्तार के लिए एक नवीन धरातल भी तैयार कर रहा है-कुलाधिपति आई.पी. मिश्रा


भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई एवं स्काईलाइन यूनिवर्सिटी कानो-नाइजेरिया, अफ्रीका के संयुक्त तत्वाधान में “इम्पोर्टेंस एंड अवेरनेस ऑफ़ ट्रेडिशनल एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन के मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. कर्नल उमेश कुमार मिश्रा अध्यक्ष छ.ग.निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग रायपुर रहे। अतिविशिष्ट अतिथियों के रूप में कुलाधिपति आई.पी. मिश्रा एवं प्रो. डॉ. संजय कुमार पॉल, विभागाध्यक्ष बायोलाजिकल साइं स्काईलाइन यूनिवर्सिटी कानो-नाइजेरिया की गरिमामई उपस्थिति रही। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. डॉ. एल.एस. निगम पूर्व-कुलपति शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. डॉ. ए. के. झा कुलपति श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई ने की।

इस अवसर पर कुलाधिपति ने कहा कि देश जो एलोपैथिक के पुराने पैरोकार हैं वह भी विविध प्रकार के प्राकृतिक इलाज की ओर रुख कर रहे हैं। जबकि आयुर्वेद जैसी चिकित्सा पद्धति के प्रति हमारी उदासीनता बनी हुई है। विश्व का एक बड़ा तबका वैकल्पिक चिकित्सा की ओर न केवल बढ़ रहा है बल्कि उसके विस्तार के लिए एक नवीन धरातल भी तैयार कर रहा है। भारत जैसे विशाल देश में, जहां की लगभग सत्तर प्रतिशत जनसंख्या आज भी गांवों में निवास करती है, वैकल्पिक चिकित्सा का ज्ञान, स्वस्थ्य भारत की पृष्ठभूमि निर्मित कर सकता है। भारत में मुख्यधारा से जुड़ी चिकित्सा प्रणाली के ढांचागत सुधार सहजता से होना संभव नहीं है, ऐसे में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति, स्वस्थ भारत के स्वप्न को साकार करने में यकीनन महत्वपूर्ण मिका निभा सकती है। आवश्यकता है अपनी परम्पराओं को पहचानने एवं स्वीकारने की है।

मुख्य अतिथि कर्नल मिश्रा ने कहा कि कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहद कमी है। इसमें प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को विकसित करने की आवश्यकता है। पूर्व-कुलपति प्रो. निगम ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश के नागरिकों के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच के साथ ही विश्व के अन्य देशों में भी कम लागत में दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भारतीय दवा निर्माताओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। सरकार के हालिया प्रयासों से इस क्षेत्र के सकारात्मक विकास को सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी और साथ ही COVID-19 से उपजी आर्थिक चुनौतियों के बीच सरकार की घोषणा से दवा उत्पादकों के मनोबल में भी वृद्धि होगी।

अतिविशिष्ट अतिथि प्रो. डॉ. संजय कुमार पॉल, ने कहा कि भारत और नाइजेरिया में ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर वृहद् पैमाने में शोध की आवश्यकता है जिससे न केवल दोनों देशों के नागरिकों को फायदा होगा अपितु सम्पूर्ण विश्व को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकेगा। चूँकि भारत और नाइजेरिया अपने परंपरागत मेडिसिन को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है इस हेतु दोनों यूनिवर्सिटी के बीच एएमयू किया गया है जिससे न केवल परम्परागत मेडिसिन के शोध पर साथ मिलकर कार्य कर सकेंगे अपितु शैक्षणिक उन्नय के लिए एक ठोस कदम साबित होगा। कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. झा ने अपने उद्बोधन में कहा कि झारखंड के आदिवासियों ने जंगलों में फलने फूलने वाले पेड़-पौधे की पत्तियां, तने, जड़, छाल और फल-फूल से मलेरिया और कालाजार जैसी बीमारी के उपचार के लिए औषधि की खोज की। करीबन दस साल पहले इन दोनों बीमारियों के लिए खोजी गई औषधि को सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपने शोध में सही माना और इसे मान्यता दी। लेकिन आदिवासियों की जिस चिकित्सा पद्धति के जरिये कलाजार और मलेरिया औषधि की खोज की गई उसे वर्षों बाद भी पहचान नहीं मिल पाई है।झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, बंगाल या यूं कहें कि ट्राइबल इंडिया में इस तरह की दवाइयों को ट्राइबल मेडिसिन कहा जाता है, झारखंड में बीते कुछ सालों में विलुप्त होती सैकड़ों वर्ष पुरानी इस पद्धति का काफी प्रचार प्रसार हुआ और अस्सी के दशक के बाद से लोगों के बीच इसे ‘होड़ोपैथी’ के नाम से जाना जाने लगा।

संगोष्टी में प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र का वाचन एवं विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। उक्त कार्यक्रम का संयोजन डॉ. स्वर्नाली दास पाल द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ. गुंजन जस्वाणी ने किया गया।आभार प्रदर्शन कुलसचिव पी.के. मिश्रा ने किया। संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ राज्य एवं देश के विभिन्न प्रान्तों से आयें प्रतिभागियों के साथ विद्यार्थियों, शोधार्थियों, प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों एवं अधिकारियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रहीं।

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