छत्तीसगढ़ के चर्चित छापेमारी में जिस तरह से जयचंदों ने सरकार की मंशा को फेल किया है, सरकार के माथे पर चिंता की लकीर साफ दिखाई देने लगी है

रायपुर। निलंबित एडीजी जीपी सिंह के ठिकानों पर एंटी करप्शन ब्यूरों द्वारा की गई छापेमारी ही लिक नहीं हुई बल्कि राजद्रोह की धारा के तहत अपराध दर्ज करने की बात भी लिक हो गई। हालांकि सरकार ने जीपी सिंह को घेरने के लिए चौतरफा इंतजाम करते हुए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर दिया है लेकिन जिस तरह से जीपी सिंह ने सरकार की गोपनीयता की पोल खोल दी है वह सत्ता के लिए भविष्य में चुनौती साबित होगी।

पन्द्रह साल के रमन राज के बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस ने विपक्ष की भूमिका के दौरान सैकड़ों घपले घोटाले का आरोप लगाया था और सत्ता में आते ही कई घोटालों की जांच भी शुरु कर दी लेकिन जयचंदों की वजह से सरकार को कई मामलों में मुंह की खानी पड़ी है। चर्चित नान घोटाले हो या डीकेएस सुपर स्पेशलिटी का मामला हो सरकार अभी तक इन मामलों में ज्यादा कुछ नहीं कर पाई है। इसी तरह के कई मामले में सरकार को अपने कदम पीछे हटाना पड़ा है।

हालांकि जीपी सिंह के छापेमारी की खबर लीक होने की खबर से सरकार सचेत हो गई है लेकिन जिस तरह से सत्ता के खिलाफ षडय़ंत्र के कागजात मिलने का दावा किया जा रहा है उसके बाद यह कहना कठिन नहीं है कि पंद्रह साल की सरकार में डॉ. रमन सिंह व अन्य भाजपाईयों की अधिकारियों-कर्मचारियों में गहरी घुसपैठ है और सरकार के हर कदम की जानकारी उसे अमलीजामा पहनाने के पहले ही विपक्ष को खबर लग जाती है।

हालांकि इस पूरे खेल को देखे तो जिस तरह से भाजपाई ठेकेदारों ने मंत्रियों को घेर रखा है वह भी सूचना लीक होने का माध्यम बनता जा रहा है। पंद्रह साल के निर्वासन के बाद मिली सत्ता में पैसों की भूख की वजह से भाजपाई ठेकेदारों का मंत्री बंगले में न केवल, बेरोकटोक आवाजाही है बल्कि कुछ तो मंत्रियों के कीचन केबिनेट का हिस्सा भी बन चुके हैं। तब सवाल यही है कि सत्ता इन जयचंदों से कैसे निपटेगी।

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