रवियोग का दुर्लभ संयोग हरितालिका तीज में 14 वर्ष बाद

तीज व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला अत्यंत कठिन और अति शुभ फलदायी व्रत माना गया है. हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला और निराहार व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती हैं तथा उनसे अखंड सौभाग्यवती होने, पति की लंबी आयु की प्राप्ति और उनके जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं. इसके बाद अगले दिन पूजा के बाद महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं.
हिंदी पंचांग के अनुसार, इस बार हरतालिका तीज व्रत पर रवियोग का निर्माण हो रहा है. इस दिन यह अद्भुत संयोग शाम को 5 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रहा है. वहीं हरतालिका तीज व्रत के पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 10 मिनट से रात 7 बजकर 54 मिनट तक है. ऐसे में हरतालिका व्रत की पूजा के समय रवियोग रहेगा. ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक इस अवसर पर रवियोग का दुर्लभ संयोग करीब 14 वर्ष बाद बन रहा है. ज्योतिशास्त्र में रवियोग को सभी प्रकार के दोषों का विनाश करने वाला बताया गया है. रवियोग बेहद प्रभावशाली होता है.
ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि इस योग में कई अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने की क्षमता है. जिन लोगो के वैवाहिक जीवन में कुछ बाधाएं है, तो उन्हें इस रवियोग में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए. इससे रिश्तों में मजबूती आयेगी. अविवाहित कन्याएं यदि इस योग में शिव-पार्वती का पूजन करती हैं, तो विवाह में आने वाली बाधाएं दूर रहती है. धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका तीज व्रत का पूजन रवियोग में करने से सभी मुरादें पूरी होती हैं.

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