रायपुर। कोविड वायरस की उत्पत्ति और इसमें हो रहे बदलावों पर देशभर के प्रमुख माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट ने शनिवार को हाइब्रिड मोड में आयोजित सीएमई के दौरान विमर्श किया। इस अवसर पर वायरस के फैलने, इसकी रोकथाम के लिए वैक्सीन विकसित करने और कोविन एप से वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को आसान बनाने के अनुभव साझा किए गए। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड वायरस परिवार के छह सदस्य हैं जिनमें मौसम और वातावरण के अनुरूप बदलाव हो रहा है। अतः कोविड संबंधी सुरक्षा उपायों को अभी भी अपनाए जाने की आवश्यकता है।
‘कोविड-19-ह्यूमन रिजिलिएंस, इनोवेशन एंड होप’ विषयक सीएमई में देश के प्रमुख न्यूरोवायरोलॉजी चिकित्सक डॉ. वी. रवि, निम्हांस, बंगलोर ने कोविड वायरस की उत्पत्ति के बारे में चल रही अवधारणों के बारे में विस्तार से बताया। उनका कहना था कि कोविड वायरस पूर्व से मौजूद रहा है जिससे सर्दी और कफ की समस्या पूर्व में भी रही है। अब यह जानवरों से मानव में आया या लैब में इसका विकास किया गया, इस विषय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जांच जारी है। उन्होंने कहा कि कोविड वायरस के साथ जीना सीखना होगा। उन्होंने विभिन्न प्रकार के कोविड वायरस के बारे में भी विस्तार से बताया।
देश की प्रमुख वायरोलॉजी लैब एनआईवी, पुणे की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम का कहना था कि देश में पहला कोविड सैंपल उनकी टीम ने जांच के बाद पॉजीटिव पाया था। उसके बाद से अब तक देशभर में वायरोलॉजी लैब की चैन बनाने, इसके जांच और इलाज की सुविधाएं प्रदान करने और कोविन एप की मदद से वैक्सीनेशन को आसान बनाने की कोशिश की गई। उन्होंने कोविड के बीटा, गामा और डेल्टा वेरीएंट के बारे में भी चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि कोविड परिवार के छह सदस्य हैं जो मौसम और वातावरण के अनुरूप स्वयं को बदल रहे हैं।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि दो वर्ष बाद अब कोविड पर नियंत्रण से जीवन सामान्य होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसमें केंद्र सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर और राज्य सरकारों की भूमिका भी अहम रही। सभी के संयुक्त प्रयासों से सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड से पूर्व एम्स की वीआरडी लैब विकास के प्रथम चरण में थी मगर माइक्रोबायोलॉजी के चिकित्सकों ने दिन-रात मेहनत कर कोविड की लहर आने से पूर्व इसे कार्यात्मक बना दिया। अभी तक एम्स में तीन लाख से अधिक सैंपल टेस्ट हो चुके हैं। इससे पूर्व माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष और सीएमई आयोजक प्रो. अनुदिता भार्गव ने सभी चिकित्सकों का स्वागत करते हुए सीएमई को कोविड-19 के विकास और रोकथाम के पुनर्वालोकन के लिए आवश्यक बताया।