रायपुर। झीरम घाटी कांड न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आने के साथ ही प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने को गलत बताया है। उन्होंने मांग की है, राज्यपाल जल्द से जल्द यह रिपोर्ट सरकार को सौंप दें। वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है, सरकार इस रिपोर्ट को लेकर हाय तौबा क्यों मचा रही है। अच्छा यह होगा कि इसे सार्वजनिक कर दिया जाए।
कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रविवार शाम कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उनके साथ झीरम कांड से पीड़ित परिवारों के लोग भी थे। मरकाम ने कहा, झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है। उन्होंने पूछा, इस रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो सरकार से छिपाने की कोशिश की जा रही है। धरसीवां विधायक अनिता शर्मा, जितेंद्र मुदलियार और दौलत रोहड़ा ने कहा, राज्यपाल जल्द से जल्द यह जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दें ताकि वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहे उन जैसे लोगों को न्याय मिल सके।
इधर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, झीरम न्यायिक जांच आयोग के प्रतिवेदन को लेकर कांग्रेस में इतनी बौखलाहट क्यों है। आयोग रिपोर्ट किसी को सौंपे उसके तथ्य तो बदलने वाले नहीं हैं। कांग्रेस को इस बात की आपत्ति है तो जांच प्रतिवेदन भी सार्वजनिक होना चाहिए। कौशिक ने कहा, हमारे यहां की जो व्यवस्था है उसके मुताबिक न्यायिक आयोग से बड़ी तो कोई जांच नहीं होती। उस पर भी अविश्वास जताया जा रहा है। कांग्रेस को इस रिपोर्ट से इतनी दिक्कत क्यों महसूस हो रही है। NIA जांच पर उनको विश्वास नहीं है। न्यायिक जांच पर विश्वास नहीं है। कौशिक ने कहा, राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख हैं, उनको जांच रिपोर्ट सौंपे जाने से परेशानी क्यों हो रही है।
मरकाम बोले, अचानक रिपोर्ट कैसे तैयार हो गई?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था। आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट तैयार नहीं है इसमें समय लगेगा। जब रिपोर्ट तैयार नहीं थी, आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गई यह भी शोध का विषय है।
कांग्रेस ने इन बिंदुओं के जरिए न्यायिक जांच आयोग पर उठाए सवाल
– 27 मई 2013 को जांच की अधिसूचना जारी हुई।
– जुलाई 2013 शपथ पत्र पेश किया गया।
– अगस्त 2013 से दिसंबर 2017 गवाही होती रही।
– कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री, प्रदेश के गृहमंत्री ननकीराम कंवर, केंद्रीय गृह मंत्री सुशील शिंदे और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह को गवाह के रूप में बुलाने के लिए आवेदन दिया।
– आवेदन पर सुनवाई कई बार बढ़ी और अंत में 22 अगस्त 2018 को सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया गया।
– करीब पांच महीने बाद 7 जनवरी 2019 को यह मांग खारिज कर दी गई। उसके बाद आयोग की सुनवाई अचानक बंद करने का आदेश हुआ। गवाही के बाद तर्क रखने का मौका नहीं दिया गया।
– कांग्रेस सरकार ने 21 जनवरी 2021 को जांच में 8 नए बिंदु जोड़े।
– जांच के नए बिंदुओं के साथ 27 अगस्त 2021 से सुनवाई फिर शुरू हुई।
– 11 अक्टूबर को सुनवाई अचानक समाप्त और राज्य सरकार के 5 गवाह को मौका नहीं दिया गया एवं तकनीकी गवाहों को भी नहीं बुलाया गया।
– 6 नवम्बर को आयोग ने रिपोर्ट राज्य सरकार को नहीं बल्कि राज्यपाल को प्रस्तुत की। आयोग राज्य सरकार ने बनाया और रिपोर्ट भी राज्य सरकार को ही प्रस्तुत होना चाहिए। राज्य सरकार का आशय कैबिनेट से होता है।
– सरकार को आयोग की रिपोर्ट खारिज करने और नया आयोग बनाने का पूरा अधिकार है
– राज्यपाल को रिपोर्ट पर कार्यवाही या टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।
कौशिक ने सवाल उठाया, क्या कांग्रेस की राजनीति खत्म हो जाएगी?
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, कांग्रेस विपक्ष में थी तो विधानसभा के हर सत्र में यह सवाल उठाती थी। यह उनका प्रमुख मुद्दा था। अब जब रिपोर्ट आ गई है तो कांग्रेस बेचैन है। कौशिक ने पूछा, क्या कांग्रेस को लग रहा है कि जांच प्रतिवेदन आ जाने से उसकी राजनीति खत्म हो जाएगी।
झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने शनिवार शाम राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंप दी। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा अभी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। बताया जा रहा है, उनके बिलासपुर से निकलने से पहले ही इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई है।
देश में किसी राजनीतिक दल पर हुआ सबसे बड़ा हमला था
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर 25 मई 2013 को झीरम घाटी में हुए एक नक्सली हमले में 29 लोग मारे गए थे। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार जैसे नाम भी शामिल थे। इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनका बाद में इलाज के दौरान निधन हो गया। माना जाता है कि यह देश में किसी राजनीतिक दल पर हुआ सबसे बड़ा हमला था।