रायपुर. बाल दिवस के अवसर पर आज यहां साइंस कॉलेज परिसर स्थित डीडीयू ऑडिटोरियम में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम में शिक्षा में सुधार, नई शैक्षिक गतिविधि, भविष्य के स्कूल की परिकल्पना, नवाचार सहित अन्य तकनीकी विषयों पर विभिन्न राज्यों से आए शिक्षा विद्वानों ने व्याख्यान दिए. इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, एससीईआरटी के संचालक राजेश सिंह राणा और प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा नरेद्र कुमार दुग्गा भी उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के निर्माण की कल्पना पंडित नेहरू ने की. बच्चों को साक्षर करने के साथ-साथ शिक्षित बनाना जरूरी है. बच्चों में वैज्ञानिक सोच लाना होगा जिससे वे अपने जीवन के निर्णय लेने में सक्षम हो. उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को हिम्मत से अपने फैसले स्वयं करने लायक बनाना होगा. इसके साथ ही बच्चों को स्कूल में विज्ञान और तकनीक सिखाने के साथ ही उन्हें ऐसी शिक्षा देनी है जिससे वे अपनी विरासत को भी याद रखें.
दिल्ली से आए के.एस. उपाध्याय ने दिल्ली सरकार की शिक्षा व्यवस्था के संबंध में बताया. उन्होंने प्रत्येक 50 बच्चों पर अभिभावक मित्र की कल्पना के बारे में बताया. 15 से 20 साल बाद के स्कूल कैसे होंगे इस पर उन्होंने प्रेजेंटेशन भी दिया. राजस्थान से आए शिक्षाविद मोटा राम भादू ने राजस्थान सरकार के महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी विद्यालय के संबंध में बताया. इस अवसर पर उन्होंने टीचर्स की ट्रेनिंग एवं लीडरशिप प्रोग्राम की आवश्यकता के बारे में अपनी बात रखी.
इसी तरह एनसीईआरटी नई दिल्ली की अधिकारी अनीता लूना ने कहा कि 21वीं सदी की शिक्षा व्यवस्था कैसी होगी इसके लिए एनसीआरटी द्वारा प्रभावशाली प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. वर्तमान में एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए काम कर रही है. उन्होंने शिक्षा में विविधता, रचनात्मकता के साथ सामाजिक और नैतिक जागरूकता के समावेश पर भी बल दिया.
राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद रायपुर छत्तीसगढ़ के अधिकारी ललित साहू ने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित हैं. जिसमें गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के बच्चों को भी अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा उपलब्ध हो रही है.
उन्होंने मूल्य आधारित शिक्षा तथा दक्षता आधारित सीखने पर अपने विचार व्यक्त किए. इसी तरह कर्नाटक की शिक्षाविद शांति नायर ने भविष्य के स्कूल की कल्पना कैसे हो इस संबंध में अपने विचार व्यक्त किए तथा कर्नाटक सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कोविड-19 के दौर में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की शिक्षा के लिए किए गए उल्लेखनीय प्रयास को बताया.