डंका न्यूज डेस्क
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में जांच पर रोक लगाने और छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी के निलंबित निदेशक गुरजिंंदर पाल सिंह को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करने से इनकार कर दिया. निलंबित आईपीएस अधिकारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता यू आर ललित ने कहा कि आरोपी राज्य में मौजूदा सरकार के ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ का पीड़ित रहा है. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा, ‘‘याचिका खारिज की जाती है’’.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 26 नवंबर के आदेश के खिलाफ सिंह की अपील पर सुनवाई कर रही थी. इस आदेश में उच्च न्यायालय ने सिंह को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार करने के साथ ही राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा/भ्रष्टाचार रोधी शाखा की जांच जारी रहने का आदेश दिया था. राज्य सरकार की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील सुमीर सोढ़ी ने की.
याचिका में कहा गया है, ‘‘गिरफ्तारी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जाए और पुलिस थाने ईओडब्ल्यू/एसीबी रायपुर में 29 जून को दर्ज भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1) (बी) और 13 (2) के तहत दर्ज प्राथमिकी और संदिग्ध प्रारंभिक जांच के संबंध में आगे की कार्यवाही पर रोक लगायी जाए.’’ सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया कि उन्हें आर्थिक अपराध शाखा/भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो के प्रमुख के तौर पर छत्तीसगढ़ में ‘नागरिक आपूर्ति निगम’ घोटाले में एक पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बार-बार विवश किया गया.
याचिका में आरोप लगाया गया है, ‘‘जब उन्होंने उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने के कारण ऐसा करने में असमर्थता जतायी तो मौजूदा सरकार का आदेश न मानने के लिए कई तुच्छ प्रारंभिक जांच और प्राथमिकियों के रूप में याचिकाकर्ता के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध की दृष्टि से कार्रवाई की गयी.’’ 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी सिंह तीन आपराधिक मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं. उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी के निदेशक पद से निलंबित कर दिया गया और देशद्रोह, भ्रष्टाचार तथा जबरन वसूली के अपराधों में आरोपी बनाया गया है.