कृषि कानून: 'चाहे कितना भी समय लगे, हम तैयार'…पापा दिल्ली कूच, खेतों में डटीं बेटियां

मेरठ
कृषि के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण समय चल रहा है। ऐसे में पुरुषों को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने के लिए घर से बाहर जाना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की तरफ गए हुए हैं। लेकिन वे खेती को लेकर आश्वस्त हैं क्योंकि उन्हें पता है कि घर पर बेटियां और महिलाएं इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं।

मेरठ के घेसूपुर गांव में खेत में ट्रैक्टर चला रही लड़की को देखना कोई नई बात नहीं है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में निशू चौधरी ने बताया, ‘हमारे पास 10 बीघा खेती की जमीन है। किसी को तो ख्याल रखना पड़ेगा नहीं तो हम इस साल अपनी फसलों को खो देंगे। हमें नहीं पता कि यह आंदोलन कितना समय लेगा। 3 महीने लगे या 6 महीने, हम इसके लिए तैयार हैं।’

पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही निशू चौधरी कोविड संक्रमण के बाद लगे लॉकडाउन में घर आई हुई हैं। प्रदर्शन शुरू हुआ तो चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी निशू अपने पिता के साथ मजबूती से खड़ी हो गई। उन्होंने बताया, ‘मैं अपनी मां, बहन और चाची के साथ मिलकर खेती के काम देख रही हूं। इस क्षेत्र की अधिकतर महिलाएं ऐसा कर रही हैं।’

नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए पिछले एक सप्ताह से लाखों की संख्या में किसानों ने दिल्ली की तरफ मार्च किया है। पंजाब और हरियाणा में धान की पैदावार और गेहूं की बुवाई हो चुकी है। वहीं उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई का सीजन अभी शुरू ही हुआ है। वहीं गेहूं की बुवाई का समय भी चल रहा है।

घेसूपुर से 5 किलोमीटर दूर दौराला गांव में 55 साल की मुकेश देवी इस बात से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे लिए साल का बहुत महत्वपूर्ण समय है। लेकिन हम अपने घर के पुरुषों को धरना छोड़ने के लिए भी नहीं कह सकते हैं। वह भी महत्वपूर्ण है।’ गन्ना यूपी की प्रमुख फसल है और नवंबर में चीनी मिलें शुरू हो गई हैं।

बिजनौर के रायपुर गांव की सुमित्रा देवी ने कहा, ‘मेरे पति दिल्ली में प्रदर्शन में गए हुए हैं। यह बहुत जरूरी है। अगर हम अभी इसके विरोध में नहीं खड़े हुए तो हमारी आने वाली नस्लों को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ेगा। अभी मैं ही घर पर सबकुछ संभाल रही हूं।’ कुछ ऐसा ही मानना मुजफ्फरनगर के काकराला गांव की मंजू गुज्जर का भी है, जो दिनभर खेतों में खड़े रहकर काम का निरीक्षण करती हैं।

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