डंका न्यूज डेस्क
रायपुर. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस देश के स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक थे. उनके राष्ट्र के प्रति त्याग एवं बलिदान की भावना ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक बिल्कुल नई दिशा और दशा प्रदान की. राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण, देश को आजाद देखने की प्रबल भावना और उनके अदम्य साहस भरे कदमों ने तत्कालीन समय में देश में एक नवीन ऊर्जा एवं उत्साह का संचार किया था. यह बात राज्यपाल अनुसुईया उइके ने अपनी संबोधन में कही.
राज्यपाल मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में आयोजित नेताजी सुभाष चंद्र बोस कार्यक्रम में शामिल हुई. कार्यक्रम में 21 विभूतियों का हम परिवार द्वारा सम्मान किया गया. राज्यपाल उइके ने कहा हम फाउंडेशन द्वारा किए गए कार्याें की सराहनीय की.
राज्यपाल ने छिंदवाड़ा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद किया. उन्होंने उन सभी सेनानियों को याद किया, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के जन्म स्थान पर उनका स्मारक बनाया जाए. राज्यपाल ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी की जयंती 23 जनवरी के दिन से गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत की जा रही है. उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
राज्यपाल ने कहा कि नेताजी दूरदृष्टि रखते थे और देश को स्वतंत्र कराने की रणनीति तैयार की. इसके लिए उन्होंने देश को भी छोड़ दिया. आजाद हिन्द फौज की कमान राष्ट्रवादी नेता रासबिहारी बोस ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को सौंपी. उनके नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज को एक संगठित स्वरूप प्रदान किया.
उइके ने कहा- आजाद हिन्द फौज के सैनिकों का पहली बार नेतृत्व करते हुए नेताजी ने कहा था कि ‘आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों! आज का दिन मेरे जीवन का सर्वाधिक गौरवशाली दिन है. आज मुझे समस्त भारत को यह सूचित करते हुए अपार गौरव और अद्भूत आनन्द का अनुभव हो रहा है कि भारत की स्वाधीनता सेना का निर्माण हो गया है. यह फौज भारत को स्वतंत्र ही नहीं करेंगी वरन् स्वतंत्र भारत की भावी सेना का निर्माण भी इसी के द्वारा होगा.
राज्यपाल ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा‘ का नारा दिया, जिसने हर भारतवासी के हृदय में अवर्णनीय उत्साह एवं ऊर्जा का संचार किया था. आजाद हिन्द फौज में पारस्परिक अभिवादन तथा युद्ध घोषणा के लिए ‘‘जयहिन्द’’ का प्रयोग किया जाता था. इससे राष्ट्रीय एकता को बल मिला. ‘‘जय हिन्द’’ का नारा आजाद हिन्द फौज तक ही सीमित न होकर आज हमारा राष्ट्रीय अभिवादन बन गया है.
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का ओजस्वी व्यक्तित्व, अभूतपूर्व संगठन क्षमता, साहस, निष्ठा एवं नेतृत्व के अद्भूत गुण हमेशा याद किए जाएंगे. उनके विचार एवं आदर्श हमारे लिए धरोहर की तरह है और हमेशा रहेंगे. हम उनके योगदान को कभी नहीं भुला सकते हैं.