लिव-इन में रहने को आजाद हैं दो बालिग, मां-बाप भी नहीं दे सकते दखल: हाई कोर्ट

प्रयागराज
ने बुधवार को अपने एक आदेश में कहा कि दो बालिग लोग अपनी इच्छा के अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़े तो संबंधित इलाके के एसपी को ऐसे लोगों को सुरक्षा दिलानी होगी, जिससे कि कोई उन्हें परेशान ना कर सके। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने फर्रुखाबाद की कामिनी देवी और अजय कुमार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष दलील दी कि वे दोनों वयस्क हैं और एक दूसरे से प्रेम करते हैं। पिछले छह महीने से वे एक दंपति की तरह साथ रह रहे हैं, लेकिन कामिनी के माता- पिता उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि कामिनी के माता- पिता उसकी शादी अधेड़ उम्र के एक व्यक्ति से करना चाहते थे। याचिकाकर्ताओं ने 17 मार्च, 2020 को फर्रुखाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से इस संबंध में शिकायत की थी, लेकिन आज तक उनका प्रार्थना पत्र लंबित है।

मां-बाप को भी दखल का अधिकार नहीं
पीठ ने संबंधित पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह व्यवस्था दी है कि जहां एक लड़का और लड़की वयस्क हों और अपनी इच्छा से एक साथ रह रहे हों, तब उनके माता पिता सहित किसी को भी उनके एक साथ रहने में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

अनुच्छेद 21 का उल्लेख करते हुए दिया आदेश
पीठ ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए कहा, ‘हमारा विचार है कि इन याचिकाकर्ताओं को एक साथ रहने की स्वतंत्रता है और किसी भी व्यक्ति को उनकी शांतिपूर्ण जिंदगी में दखल देने की अनुमति नहीं होगी। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने का अधिकार, एक मौलिक अधिकार है जिसमें यह व्यवस्था है कि किसी भी व्यक्ति को जीवन जीने के अधिकार और निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *