नेपाल में राजशाही समर्थक रैलियों पर भड़का विपक्ष, कहा- ओली सरकार दे रही मौन समर्थन

काठमांडू
नेपाल में राजशाही समर्थक रैलियों को लेकर प्रमुख विपक्षी पार्टी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है। नेपाली कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ओली सरकार हाल में राजशाही के समर्थन में हुई रैलियों की मौन हिमायत कर रही है। हाल में देश के कई हिस्सों में राजशाही के समर्थन में रैलियां की गई थी जिनमें मांग की गई थी कि संवैधानिक राजशाही को बहाल किया जाए और नेपाल को फिर से एक हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए।

पूर्व पीएम बोले- प्रदर्शनकारियों के पीछे खड़े हैं ओली
नेपाली कांग्रेस के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री ने मध्य नेपाल के हेटौडा में आयोजित सरकार विरोधी प्रदर्शन को संबोधित करते हुए यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ओली उन लोगों के पीछे खड़े हैं जो प्रदर्शन कर रहे हैं। अन्यथा वे इस समय कैसे सड़कों पर आ सकते हैं ?

विपक्ष का ऐलान- नहीं बहाल होगी राजशाही
देउबा ने फिलहाल राजशाही को फिर से बहाल करने की किसी भी संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि किसी को भी देश में राजशाही की बहाली को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। देउबा का निशाना हाल में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के वफादारों द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित किए गए प्रदर्शनों पर था।

2008 में धर्मनिरपेक्ष राज्य बना था नेपाल
नेपाल 2008 में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना था। इससे पहले 2006 में जन आंदोलन हुआ था और राजशाही को खत्म कर दिया गया था। तब सभी पार्टियों को मिलाकर गठित संविधान सभा को देश का एक नया संविधान बनाने का काम सौंपा गया था। नेपाली राजनीतिक दलों को संविधान का मसौदा तैयार करने में सात साल लगे।

नेपाल के कई शहरों में राजशाही के समर्थन में हुए प्रदर्शन
काठमांडू में विशाल रैली आयोजित करने से पहले राजशाही समर्थक और हिंदुत्व वादी प्रदर्शनकारियों ने हेटुडा, बुटवल, धनगढ़ी, नेपानगर, महेंद्रनगर, बरदिया, बिरजगंज, जनकपुर, नवापुर, पोखरा, रौतहट और बिराटनगर में इसी तरह की रैलियां आयोजित की थीं। राष्ट्रीय शक्ति नेपाल, गोरक्षा नेपाल, बिश्व हिंदू महासंघ, राष्ट्रीय सरोकार मंच, शिव सेना नेपाल, बीर गोरखाली और मातृभूमि समरसता नेपाल जैसे संगठन इन रैलियों में सबसे आगे रहे हैं।

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