डंका न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्य बोर्डों, CBSE, ICSE और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग द्वारा आयोजित की जाने वाली 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए ऑफलाइन परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस तरह की याचिकाएं भ्रामक हैं और छात्रों को झूठी उम्मीद देती हैं।
याचिका को खारिज करते हुए, जस्टिस खानविलकर ने कहा, “ये याचिकाएं झूठी उम्मीदें पैदा करती हैं, अधिकारियों को निर्णय लेने दें। आप उस आदेश को चुनौती दे सकते हैं” बोर्ड परीक्षा रद्द करने की याचिका पर सुनवाई जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की बेंच ने की।
गौरतलब है कि इस याचिका को अनुभा सहाय श्रीवास्तव ने लगाया है और दलील दी है कि कोरोना महामारी के चलते शारीरिक कक्षाएं नहीं हुई हैं, इसलिए बोर्ड की परीक्षा ऑनलाइन होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने सभी बोर्डों को समय पर परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्देश देने और विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के कारण सुधार परीक्षा का ऑप्शन देने की भी मांग की है।
सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए 26 अप्रैल से बोर्ड परीक्षाएं कराने का फैसला किया है। 15 से अधिक राज्यों के कक्षा 10 और 12 के छात्रों द्वारा दायर याचिका में आगामी बोर्ड परीक्षाओं के लिए एक वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति की मांग की गई है। पिछले साल ICSE और CBSE व अन्य राज्य बोर्डों ने वैकल्पिक मूल्यांकन मानदंडों के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया था।
ऑफलाइन ही होगी 10वीं-12वीं की परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
