सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार का जुर्माना


रायपुर : प्रदेश में राज्य सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त ने समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराने वाले जन सूचना अधिकारी पर ₹25000 का अर्थदंड आरोपित किया है। यह कार्यवाही मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोरबा जी. आर. बंजारे के विरुद्ध की गई है। इन पर अपीलार्थी को सूचना के अधिकार के तहत तय समय सीमा के अंदर जानकारी नहीं उपलब्ध कराने और आयोग में कोई जवाब प्रस्तुत नहीं करने के साथ आयोग के पत्रों का जवाब नहीं देने का आरोप है। जी.आर. बंजारे से इस अर्थदंड के राशि की वसूली आरोपी के वेतन/पेंशन से की जाएगी। इस संबंध में राज्य सूचना आयुक्त ने कलेक्टर कोरबा और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा को निर्देशित किया गया है।

दरअसल सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शरद देवांगन, श्रीराम कालोनी बेलादुला रायगढ़ ने अपने आवेदन दिनांक 25 जनवरी 2018 में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोरबा (जन सूचना अधिकारी) से जिला कोरबा में पदस्थ सहायक शिक्षक (पंचायत), शिक्षक (पंचायत) की सूची की सत्यापित छायाप्रति की मांग की। किन्तु वांछित जानकारी समय पर प्राप्त नहीं होने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी को 28 फरवरी 2018 को आवेदन किया। प्रथम अपीललीय अधिकारी ने इस प्रक्ररण में कोई निर्णय नहीं दिया, जिससे क्षुब्ध होकर छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की। जिसके बाद इसल मामले में राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जानकारी उपलब्ध नहीं कराने वाले जनसूचना अधिकारी पर पच्चीस हजार रूपए का अर्थदंड अधिरोपित किया है।

राज्य सूचना आयोग का कहना है कि सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार और अधिकारियों के कामकाज में सुधार लाने और पारदर्शिता लाने का एक सार्थक प्रयास है। सूचना का अधिकार देश में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और अधिकारियों में लालफीताशाही को नियंत्रित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पदाधिकारियों का पदों के प्रति जवाबदेह होना जरूरी है। इस अधिनियम के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की गई है, जिसके अंतर्गत कोई भी नागरिक लोक प्राधिकारी के कार्यकलापों के संबंध में सूचना प्राप्त कर सके। यदि लोक सूचना अधिकारी द्वारा संबंधित को समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो ऐसे अधिकारियों को, राज्य सरकार द्वारा गठित राज्य सूचना आयोग द्वारा दण्डित किया जा सकता है।

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