जब द्वितीय विश्वयुद्ध के वायरलेस सेट्स से निकली 15 किलो चांदी!

पटना:
बिहार पुलिस के ()… वो शख्सियत जो कड़क और ईमानदार पुलिस ऑफिसर तो थे ही लेकिन इसके अलावा एक शिक्षक भी हैं। फिजिक्स यानि भौतिकी की पढ़ाई कर चुका एक शख्स जब पुलिस महकमे में आता है तो उसके पास प्रशासनिक और वैज्ञानिक दोनों ही ज्ञान होते हैं। अभयानंद ने अपने इसी ज्ञान का इस्तेमाल कर सरकारी कचरे से 15 किलो चांदी निकलवा ली और उसे सरकारी खजाने में जमा भी करा दिया। मगर क्या आपको मालूम है कि ये चांदी कहां से निकली…. द्वितीय विश्वयुद्ध के हथियारों से ()। कैसे, ये खुद सिलसिलेवार बताया पूर्व डीजीपी अभयानंद ने। सुनिए एक IPS की जुबानी ये अद्भुत कहानी…

सरकारी कचरे से चांदी निकालने की कहानी
IPS और पूर्व डीजीपी अभयानंद () ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में ये सारी कहानी लिखी है। अभयानंद के मुताबिक ‘वायरलेस विभाग। किसी IPS अफसर को बता दिया जाए कि उसकी पोस्टिंग वहाँ हो गई है तो पहली भावना मन में आएगी कि उसको शंट किया गया है। 1996 में मेरा पदस्थापन DIG वायरलेस में किया गया। मुझे तो ऐसी कोई बात मन में नहीं लगी, पर संभवतः सरकार के शीर्ष पर बैठे लोगों को जरूर लगी होगी। मैं उत्साहित था कि फिजिक्स में इलेक्ट्रॉनिक्स का जितना ज्ञान था, उसका सदुपयोग कर पाऊंगा। सो पदभार ग्रहण करते ही वर्कशॉप में चला गया। वहाँ कार्य पर लगे कर्मियों से उनके कार्यस्थल पर बातें की, उनके इंस्ट्रूमेंट्स देखे। तसल्ली हुई कि यह भी इसी विभाग के कर्मी हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स भी समझ सकते हैं। उनसे मैंने फिजिक्स के सिद्धांतो पर भी चर्चा की तो मेरे मन में उनके लिए सम्मान बहुत बढ़ गया।

अभयानंद आगे लिखते हैं ‘ इस विभाग में हर वर्ष खरीददारी हुआ करती थी। जब ये कनीय कर्मी मुझसे खुल कर बात करने लगे तो उन्होंने बताया कि जितने पार्ट्स खरीदे जाते हैं, उतने की जरुरत नहीं है। जो वायरलेस सेट खराब हो गए हैं, उनसे ही पार्ट्स निकाल कर स्टोर कर लिया जाए तो बहुत सारे सेट रिपेयर हो जाएंगे। मुझे यह आइडिया अच्छा लगा और सरकार का काफी पैसा बचा।’

द्वितीय विश्वयुद्ध के वायरलेस सेट्स से निकली 15 किलो चांदीइसके बाद जो हुआ वो अभयानंद () के लिए शायद एक अजूबा ही था। अभयानंद के मुताबिक ‘ विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि सेकेंड वर्ल्ड वार की समाप्ति के बाद पुराने वायरलेस सेट को पुलिस विभाग को दे दिया गया था। वह सब सेट अब बड़े गोडाउन में कबाड़ की तरह रख दिए गए हैं। मैंने ऑफिस से बहुत दूर उस गोडाउन में जाकर देखा। बहुत गन्दा था। धूल भरा, अव्यवस्थित। लेकिन उन पुराने सेट्स में मेरी रूचि एक विद्यार्थी की हो गई थी। मैं उसके सर्किट को ट्रेस करने लगा। पावर ओसिलेटर, मॉड्यूलेटर, डीमॉड्यूलेटर में लग गया। अचानक एक कर्मी भाग के आया और कहा कि सर इस में तो चांदी है।’

‘HF सेट में ओसिलेटर जिस कॉइल से बनाया था, वह चांदी की तरह चमक रहा था। धुल हटाने पर, अधिक चमकता था। ऐसे सभी सेट से इस कॉइल को निकाला गया। एक सुनार से उसकी कसौटी पर जांच करवाई। उसने बताया कि यह बिलकुल खरा है। वैज्ञानिक रूप से FSL में इसकी शुद्धता की जांच कराई। 99% के करीब शुद्ध निकला। एक कमिटी के समक्ष जिसमें सभी श्रेणी के कर्मी थे, वजन कराया गया। स्मरण के अनुसार करीब 15 किलो चांदी निकली। इसे सील करके जिले के कोषागार में जमा कर दिया गया। सरकार को इसकी विधिवत सूचना दे दी गई। सरकारी कचरे से चांदी निकाली गई।’

साभार:- IPS अभयानंद के फेसबुक पेज से

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