ममता को फिर दर्द…TMC के बागियों से मिले सुवेंदु, इसी हफ्ते बीजेपी में शामिल होगी पूरी खेप!

कोलकाता
पिछले महीने जब अमित शाह पश्चिम बंगाल दौरे पर आए थे, उसके बाद से ही सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में खुलकर बगावत सामने आने लगी। ममता के करीबी सुवेंदु अधिकारी के पार्टी छोड़ने की चर्चा तेज थी। अब अमित शाह के डेढ़ महीने में दूसरे दौरे से पहले पश्चिम बंगाल की राजनीति बिल्कुल बदली नजर आ रही है। सुवेंदु विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं और उनके साथ कई टीएमसी नेताओं की एक खेप के इसी हफ्ते बीजेपी में शामिल होने की योजना स्पष्ट है।

मेदिनीपुर इलाके में बड़ा प्रभाव रखने वाले सुवेंदु बुधवार को दोपहर साढ़े तीन बजे विधानसभा पहुंचे और सचिव से मिले। उन्होंने स्पीकर ऑफिस में हाथ से लिखा हुआ अपना इस्तीफा सौंपा। सुवेंदु पूर्व मेदिनीपुर की नंदीग्राम सीट से विधायक है और नंदीग्राम आंदोलन का चेहरा रह चुके हैं जिसने 2011 में ममता को बंगाल की सत्ता दिलाई थी। नंदीग्राम में अच्छी तादाद में मुस्लिम वोटर भी हैं और सुवेंदु अपने भाषणों में अल्पसंख्यकों की रक्षा की बात करते रहे हैं।

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टीएमसी विधायक के घर पर बागियों की बैठक
अपना इस्तीफा सौंपने के बाद सुवेंदु अधिकारी पूर्वी बर्धमान से टीएमसी विधायक सुनील मंडल के आवास पहुंचे। यहां सुवेंदु और सुनील के अलावा टीएमसी के अन्य नेता भी मौजूद थे जो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और सुवेंदु के साथ ही इनके भी बीजेपी में शामिल होने के कयास हैं। सुनील मंडल के आवास पर दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन दिप्तांग्शु चौधरी, पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी और गुस्कारा नगर पालिका से पार्षद नित्यानंद चट्टोपाध्याय भी मौजूद थे।

‘बीजेपी में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं’
चट्टोपाध्याय ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मैंने पार्टी में कई तरह की समस्याओं का सामना किया है। मैंने हाईकमान को इस बारे में अवगत भी कराया लेकिन कोई हल नहीं निकला। हम पुराने नेता हैं और पार्टी के प्रति निष्ठावान रहे हैं लेकिन अब हमारे बीजेपी में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’

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शाह के दौरे पर बीजेपी में शामिल होंगे सुवेंदु
बता दें कि सुवेंदु अधिकारी पिछले कई महीनों से टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से दूरी बनाए हुए हैं। वह पार्टी के बैनर के बिना रैलियां संबोधित कर रहे हैं। अब उनके बीजेपी में शामिल होने का रास्ता साफ नजर आ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि अमित शाह के दो दिन के बंगाल दौरे के दौरान बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले वह आज दिल्ली में टॉप लीडर से मुलाकात भी कर सकते हैं।

‘बंगाल की 70 सीटों पर सुवेंदु का दबदबा’
सुवेंदु कैंप का मानना है कि बंगाल की तकरीबन 70 विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव है। बंगाल दौरे के दौरान अमित शाह पूर्वी मेदिनीपुर समेत तीन जिलों में रैली करेंगे। बता दें कि पूर्वी मेदिनीपुर को अधिकारी परिवार का गढ़ माना जाता है। यहां से सुवेंदु के पिता और दो भाई दो लोकसभा सीट और एक विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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आज या कल में टीएमसी छोड़ सकते हैं सुवेंदु
सुवेंदु के सहयोगियों का कहना है कि उनकी जॉइनिंग के लिए तैयारियां की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि अधिकारी 17 या 18 दिसंबर को टीएमसी की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। इससे पहले सुवेंदु ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी जिसको लेकर बीजेपी नेताओं ने अमित शाह से मुलाकात की थी। सुवेंदु की सुरक्षा बढ़ाकर जेड केटेगरी कर दी गई है।

ममता का आरोप- बीजेपी में शिष्टाचार भी नहीं बचा
वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी ने बीजेपी पर टीएमसी के बड़े नेताओं को तोड़ने की कोशिश का आरोप लगाया है। ममता बनर्जी ने बुधवार को कूचबिहार जनसभा के दौरान कहा, ‘बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जिसमें मूल नैतिकता और शिष्टाचार भी नहीं बचा है।’

‘बीजेपी हमारे नेताओं को कॉल रही है’
ममता ने आरोप लगाया, ‘यह हैरान करने वाला है कि उन्होंने (बीजेपी) हमारे कुछ वरिष्ठ नेताओं जैसे सुब्रत बख्शी (राज्य अध्यक्ष) और अनुब्रत मंडल (बीरभूम अध्यक्ष) को कॉल किया। दिल्ली से नेता उन्हें कॉल कर रहे हैं और मीटिंग के लिए कह रहे हैं। दोनों नेताओं ने इनकार कर दिया है लेकिन यह बीजेपी की दलबदल के लिए झटपटाहट दिखा रहा है।’

टीएमसी में बढ़ी हताशा, चुनाव में होगा असर
राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि सुवेंदु और बड़े नेताओं की बीजेपी में जाने की प्लानिंग से टीएमसी में हताशा बढ़ी है। टीएमसी को डर है कि सुवेंदु की देखादेखी कई नेता उनके पाले से खिसककर बीजेपी में जा सकते हैं और इससे चुनाव में भी बड़ा असर पड़ेगा। हालांकि टीएमसी के वरिष्ठ नेता ऑन रेकॉर्ड यही कह रहे हैं कि वे बिल्कुल भी परेशान नहीं है।

टीएमसी का सुवेंदु पर आरोप
सेरमपोर से विधायक कल्याण बनर्जी कहते हैं, ‘वह (सुवेंदु) अति महत्वकांक्षी और ओवर कॉन्फिडेंट हैं। वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं…हम उनके साथ या उनके बिना दोनों तरह से जीत सकते हैं क्योंकि हमारी नेता ममता बनर्जी हैं।’

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