बिलासपुर। कानन पेंडारी के जुलाजिकल पार्क में आज एक बड़ा हादसा होते_होते रह गया। केज से बाहर निकलकर एक भालू बाहर घूमता रहा। जब वनकर्मियो को इसकी जानकारी हुई तो ढाई घंटे की मशक्कत के बाद उसे वापस केज में डाला गया। इसके लिए उसे ट्रेंकुलाइज करना पड़ा। इस दौरान काफी संख्या में पर्यटक पार्क पहुंच गए थे। बताया जा रहा है की भालू ने तीन पर्यटकों पर हमला भी किया है। जिसमे से एक को पार्क के अंदर ही इंजेक्शन दिया गया है।
कानन पेंडारी के जुलाजिकल पार्क में शुक्रवार को भी अन्य दिनों की तरह कामकाज चल रहा था। वन कर्मी अपने काम ले लगे हुए थे तो पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। इसी दौरान एक वनकर्मी को रोजी पेलिकन चिड़िया के केज के सामने भालू घूमता दिखा। पहले तो वनकर्मि को कुछ समझ नहीं आया की भालू कहां का है। लेकिन उसे मामला समझते देर नहीं लगी और भागते हुए इसके जानकारी वहां मौजूद अन्य वनकर्मियों को दिया। इसके बाद तो सभी के होंस उड़ गए। दहशत के माहौल में वनकर्म इधर_उधर भागने लगे। जिस वनकर्मियों हाथ जो लगा उसे ही लेकर भालू को घेरने निकल पड़े। इधर डॉक्टर भी अपनी व्यवस्था में लग गया। पहले तो पर्यटकों को उधर जाने से रोका गया जिधर भालू घूम रहा था। फिर वनकर्मियों ने भालू को चारों तरफ से घेराबंदी करके हॉस्पिटल की तरफ हंकालते हुए ले गए। इसके बाद उसे ट्रेंकुलाइज किया गया। जब भालू बेहोंस हो गया तो उसे पकड़कर वापस केज में डाला गया। इस दौरान जुलाजिकल पार्क में लगभग ढाई घंटे तक दहशत का माहौल बना रहा। बताया जा रहा है की सफाईकर्मी सुबह केज की सफाई करने के बाद गेट बंद करना भूल गया था और गेट खुला होने के कारण भालू बाहर निकल आया। सफाईकर्मी 9.30 बजे सफाई करके लौट गया था और वनकर्मी ने उसे रोजी पेलिकन केज के पास 11.30 बजे देखा। इस दौरान लगभग दो घंटे तक भालू पार्क में घूमता रहा। इसके बाद दो घंटे से ज्यादा समय उसे पकड़ने में लगे। कुलमिलाकर 4 घंटे तक पार्क में दहशत का माहौल बना रहा।
एक कहानी ये भी : भालू के केज से बाहर निकलने के मामले में एक दूसरी कहानी भी सामने आ रही है जिसके अनुसार भालू केज से निकलकर डीएफओ ऑफिस के चेंबर तक आ गया था। इस दौरान भालू ने तीन पर्यटकों पर हमला भी किया है। जिसमें से एक घायल हुआ है उसे पार्क के अंदर ही तीन इंजेक्शन दी गई है। जबकि दो पर्यटक तक भालू का पंजा नहीं पहुंच पाया और भागने में सफल हो गए। लेकिन वन विभाग के अधिकारी इस बात की पुष्टि नहीं कर रहे है और पूरी गलती सफाईकर्मी पर डालने आमादा है।
डीएफओ छुट्टी में : कानन पेंडारी में जब पर्यटक और वनकर्मी दहशत से जूझ रहे थे तो वहां कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं था। पार्क का डीएफओ और एसडीओ दोनों छुट्टी पर है। प्रभारी डीएफओ सत्यदेव शर्मा एटीआर में थे। रेंजर को सूचना देकर बुलाया गया। यही नहीं पार्क में जिन लोगों ने रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया वो लोग देरशाम तक आला अधिकारियों को इसकी जानकारी भी नहीं दी।