विस्थापित ग्रामों के बेरोजगारों के लिए आउटसोर्सिंग में रोजगार की मांग : किसान सभा ने दी 2 को दीपका एसईसीएल के घेराव और तालाबंदी की चेतावनी

दीपका (कोरबा)। कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापित ग्रामों के बेरोजगारों के लिए रोजगार की मांग इस क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके विस्थापित परिवारों से एसईसीएल ने रोजगार देने का वादा किया था। छत्तीसगढ़ किसान सभा का कहना है कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल की है, लेकिन वह इसे पूरा करने से इंकार कर रही है।

किसान सभा ने आरोप लगाया है कि दीपका खदान क्षेत्र में अमगांव और आस पास के प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को जहां आऊट सोर्सिंग कंपनियां ड्राइवर, ऑपरेटर, हेल्पर जैसे पदों पर भी कार्य पर नहीं रख रही है, वहीं एसईसीएल भी खदानों में काम करने के लिए अन्य जिलों के लोगों को भर्ती कर रही है। इससे विस्थापन प्रभावित गांवों के बेरोजगारों में एसईसीएल के प्रति काफी आक्रोश है।

किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा, जय कौशिक ने बताया कि इस अनियमितता में न केवल एसईसीएल की आउटसोर्सिंग कंपनियों के साथ मिलीभगत है, बल्कि रोजगार देने के एवज में बेरोजगार युवाओं से भारी-भरकम रकम भी ऐंठी जा रही है। उन्होंने मांग की है कि आउटसोर्सिंग कंपनियों और एसईसीएल के खनन कार्यों में जिन बेरोजगारों को काम दिया गया है, उनके नाम-पते सार्वजनिक किए जाएं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि विस्थापन प्रभावित गांवों के प्रति एसईसीएल अपनी जिम्मेदारी किस तरह पूरा कर रही है।

इस संबंध में किसान सभा नेताओं द्वारा एक ज्ञापन दीपका महाप्रबंधक को सौंपा गया है। ज्ञापन में इस मुद्दे पर 2 सितंबर को दीपका कार्यालय का घेराव और तालाबंदी करने की चेतावनी दी गई है। ज्ञापन सौंपने वालों में दामोदर श्याम, दीना नाथ, मुनिराम, बसंत चौहान, राम किशुन, सुरेश, पुरषोत्तम, हरिकृष्ण, विनय, गोपाल, सतीश, इंद्रपाल, लाल सिंह, छत्र पाल, भरत सिंह, राकेश, विनोद, भूपेंद्र, चंद्रभान, दिलेश, चावलेश, अनुपराम, रंजीत, लवलिश, भरत, मनोज, संजय आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।

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