चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जिस बीजेपी के लिए अपना पहला बड़ा कैंपेन लॉन्च किया था, आज उसी को खुल्ला चैलेंज कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के खेमे में खड़े हैं। वह डंके की चोट पर दावा कर रहे हैं कि बीजेपी राज्य में दहाई का आंकड़ा पार करने में ही हांफ जाएगी। उन्होंने एक ट्वीट किया है जिसमें वे कह रहे हैं कि अगर बीजेपी ने इससे अच्छा प्रदर्शन किया तो वे ट्विटर छोड़ देंगे। बतौर चुनावी रणनीतिकार, बंगाल में प्रशांत किशोर का सामना सीधे बीजेपी में अमित शाह से होगा। शाह राज्य में बीजेपी को एक मजबूत ताकत बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे। हाल के दिनों में TMC के भीतर जैसी भगदड़ मची है, उसके पीछे शाह की ही रणनीति बताई जा रही है। अमित शाह बनाम प्रशांत किशोर का यह मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा। शाह जहां बीजेपी के चाणक्य की तरह देखे जाते हैं तो प्रशांत किशोर के दिमाग का भी राजनीतिक पंडित लोहा मानते हैं। 2012 से नैशनल सीन में आए प्रशांत किशोर का ट्रैक रिकॉर्ड अबतक कैसा रहा है, आइए जानते हैं।
Prashant Kishor track record: प्रशांत किशोर ऐसे चुनावी रणनीतिकार हैं जिन्होंने भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड से लेकर तृणमूल कांग्रेस तक के साथ काम किया है।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जिस बीजेपी के लिए अपना पहला बड़ा कैंपेन लॉन्च किया था, आज उसी को खुल्ला चैलेंज कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के खेमे में खड़े हैं। वह डंके की चोट पर दावा कर रहे हैं कि बीजेपी राज्य में दहाई का आंकड़ा पार करने में ही हांफ जाएगी। उन्होंने एक ट्वीट किया है जिसमें वे कह रहे हैं कि अगर बीजेपी ने इससे अच्छा प्रदर्शन किया तो वे ट्विटर छोड़ देंगे। बतौर चुनावी रणनीतिकार, बंगाल में प्रशांत किशोर का सामना सीधे बीजेपी में अमित शाह से होगा। शाह राज्य में बीजेपी को एक मजबूत ताकत बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे। हाल के दिनों में TMC के भीतर जैसी भगदड़ मची है, उसके पीछे शाह की ही रणनीति बताई जा रही है। अमित शाह बनाम प्रशांत किशोर का यह मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा। शाह जहां बीजेपी के चाणक्य की तरह देखे जाते हैं तो प्रशांत किशोर के दिमाग का भी राजनीतिक पंडित लोहा मानते हैं। 2012 से नैशनल सीन में आए प्रशांत किशोर का ट्रैक रिकॉर्ड अबतक कैसा रहा है, आइए जानते हैं।
For all the hype AMPLIFIED by a section of supportive media, in reality BJP will struggle to CROSS DOUBLE DIGITS in… https://t.co/g6446uRAyb
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) 1608526371000
बीजेपी के साथ शुरू किया था सफर
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर के काम की खूब चर्चा हुई। नरेंद्र मोदी की मार्केटिंग से लेकर ब्रैंडिंग और ऐडवर्टाइजिंग का जो फॉर्म्युला प्रशांत किशोर लाए थे, वह सुपरहिट साबित हुआ। चाय पे चर्चा, रन फॉर यूनिटी, मंथन जैसे पब्लिक प्रोग्राम्स के अलावा सोशल मीडिया पर भी प्रशांत किशोर की रणनीति का फोकस रहा। 2014 के चुनाव में बीजेपी की जीत का अच्छा-खासा श्रेय प्रशांत किशोर को मिला। हालांकि प्रशांत किशोर 2012 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त भी बीजेपी के लिए काम कर रहे थे। 2014 के बाद प्रशांत किशोर ने मोदी से दूरी बना ली। उन्होंने इंडियन पॉलिटिकल ऐक्शन कमिटी (IPAC) नाम से अपना संगठन खड़ा कर दिया।
2015 में नीतीश कुमार के प्रचार का जिम्मा संभाला
प्रशांत किशोर और IPAC के लोग अब बिहार में नीतीश कुमार के साथ काम कर रहे थे। प्रचार की कमान प्रशांत किशोर के हाथ में थी। मुकाबला बीजेपी से था और प्रशांत किशोर की रणनीति से अब जदयू-राजद का गठबंधन जीत गया तो ब्रैंड PK और मजबूत हो गया। नीतीश के साथ प्रशांत किशोर की नजदीकियां बढ़ने लगी थीं। हालांकि बाद में इन संबंधों में बड़ी खटास आने वाली थी।
पंजाब में कांग्रेस की जीत का भी मिला क्रेडिट
बीजेपी और जदयू के साथ सफल रहने के बाद, 2016 में प्रशांत किशोर को कांग्रेस ने अपने साथ लिया। पंजाब में लगातार दो चुनाव हार चुकी कांग्रेस को 2017 में पीके के साथ से जीत मिली। कैप्टन अमरिंदर सिंह की जीत का क्रेडिट पीके को भी मिला। पार्टी के कई नेताओं ने प्रशांत किशोर का नाम लेकर उन्हें श्रेय दिया।
यूपी में ब्रैंड पीके को लगा सबसे तगड़ा झटका
पंजाब का साथ उत्तर प्रदेश में भी जारी रहा, मगर यहां पीके का प्लान फेल हो गया। बीजेपी की रणनीति के आगे पीके की दाल नहीं गली। कांग्रेस राज्य में करीब तीन दशक से सत्ता से बाहर थी। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का दांव भी काम नहीं आया। बीजेपी अकेले 300 से ज्यादा सीटें जीत ले गईं। कांग्रेस के हिस्से केवल 7 सीटें आईं। कई राजनीतिक पंडितों ने यूपी में कांग्रेस के साथ जाने के पीके के फैसले को गलत बताया था।
आंध्र और दिल्ली में मिली सफलता
मई 2017 में प्रशांत किशोर को वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया। IPAC ने जगन की इमेज बदलने के लिए कई कैंपेन चलाए। विधानसभा चुनाव में YSRCP को 175 में से 151 सीटें मिलीं और किशोर के रेज्युमे में एक और उपलब्धि जुड़ गई। प्रशांत किशोर को बड़ा बूस्ट दिल्ली में इसी साल हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों से भी मिला। आम आदमी पार्टी ने उन्हें अपना रणनीतिकार बनाया था। पार्टी 70 में से 62 सीटें जीतने में सफल रही और प्रशांत किशोर भी।
बिहार चुनाव से दूरी, अब WB और तमिलनाडु टारगेट
प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में किसी पार्टी का समर्थन नहीं किया। नीतीश संग उनके रास्ते जनवरी में ही अलग हो गए थे जब जदयू ने उन्हें निकाल दिया था। अब प्रशांत किशोर के सामने दो बड़े प्रॉजेक्ट हैं। पहला पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की 2021 में सत्ता में वापसी करानी है और फिर तमिलनाडु में डीएमके के चुनावी रणनीति तैयार करनी है।