नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ने रविवार को उस वक्त देश को दंग कर दिया था जब उन्होंने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से संसद को भंग करने को कहा। राष्ट्रपति ने ओली की बात मान ली और मध्यावधि चुनावों का ऐलान भी कर दिया। अब ओली देश को बता रहे हैं कि उन्होंने यह फैसला क्यों किया है। सांसदों को संबोधित करते हुए ओली ने नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी और देश के भविष्य की दुहाई दी है। वहीं, जनता को संबोधित करते हुए ओली ने भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद का भी जिक्र किया है।
ओली ने सोमवार को भंग की जा चुकी संसद के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने बहुत भारी मन से यह फैसला किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि देश को संपन्नता की ओर ले जाने की कोशिशों में रुकावटें पैदा की जा रही थीं और नेताओं का एक धड़ा सरकार को काम नहीं करने दे रहा था। इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया है। उन्होंने फैसले को ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिए जाने पर कहा कि रुकावटें आने पर जनता के पास जाना सबसे बड़ा लोकतांत्रिक कदम है।
इसके बाद ओली ने देश के नाम संबोधन भी दिया जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के मुद्दे के समाधान के लिए चर्चा पर विकास हुआ है। आपको बता दें कि लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को लेकर दोनों देशों की बीच कई महीनों से विवाद चल रहा है। नेपाल ने इन क्षेत्रों पर अपना दावा ठोंका था और नया राजनीतिक नक्शा तक जारी कर दिया था।
इससे पहले ओली ने बिना नाम लिए पुष्पकमल दहल के खेमे पर पार्टी की बैठकों में देश के लिए चर्चा नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने सांसदों से अपने चुनावक्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरूक करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जनता को बताया जाए कि सरकारी कार्यों को रोकने के लिए क्या साजिश चल रही थी, किसने लोगों के लिए काम किए और किसने रुकावटें पैदा कीं।