भारत का विरोध कर कुर्सी तक पहुंचे नेपाली पीएम ओली, अब अपनों को ही दिया 'धोखा'

काठमांडू
भारत का विरोध करके सत्‍ता में आए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में मध्‍यावधि चुनाव की सिफारिश करके अपनी ही पार्टी के नेताओं को करारा झटका दिया है। पीएम ओली और राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की मिलीभगत से न केवल सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेता बल्कि नेपाली जनता भी सकते में है। अपनी किशोरवस्था में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में आए वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली के नेपाल का प्रधानमंत्री बनने तक का सफर बड़ा उल्लेखनीय रहा है।

ओली के वामपंथी गठबंधन के संसदीय चुनाव में जीत दर्ज किए जाने के बाद 2018 में दूसरी बार सत्ता संभालने पर नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद जताई थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर सत्ता को लेकर चले लंबे संघर्ष के बाद रविवार को संसद भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। ओली किशोरावस्था में ही राजनीति में आ गए थे और राजशाही का विरोध करने के लिए उन्होंने 14 साल जेल में बिताए। वह 2018 में वाम गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे।

नेपाल-भारत के संबंध तनावपूर्ण हो गए
चीन समर्थक रुख के लिए जाने वाले 68 वर्षीय ओली ने इससे पहले 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। इस दौरान नेपाल-भारत के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ओली ने नेपाल के आंतरिक मामलों में कथित हस्तक्षेप को लेकर सार्वजनिक रूप से भारत की निंदा की थी और उसपर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। हालांकि, उन्होंने दूसरे कार्यकाल के लिए पद संभालने से पहले देश को आर्थिक समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ एक साझेदारी बनाने का वादा किया था।

वर्ष 2015 में जब नेपाल में नया संविधान अपनाया गया और इसे सात राज्यों में विभाजित किया गया तो जातीय मधेसी समूह, जिनमें ज्यादातर भारतीय मूल के थे, ने महीनों तक इसका विरोध किया। इस मुद्दे को लेकर भारत-नेपाल के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। ओली के दूसरे कार्यकाल के दौरान सत्तारूढ़ दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में आंतरिक कलह चरम पर पहुंच गई थी। पार्टी के दो धड़ों के बीच महीनों से टकराव जारी है। एक धड़े का नेतृत्व 68 वर्षीय ओली तो वहीं दूसरे धड़े की अगुवाई पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ कर रहे हैं।

प्रतिद्वंद्वियों पर सरकार को अस्थिर करने के आरोप लगाए
ओली ने पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंद्वियों पर उनकी सरकार को अस्थिर करने की साजिश करने के आरोप लगाए थे। नेपाल के पूर्वी जिले तेराथुम में 22 फरवरी, 1952 को जन्मे ओली मोहन प्रसाद और मधुमाया ओली की सबसे बड़ी संतान हैं। उनकी मां की चेचक से मृत्यु हो जाने के बाद उन्हें उनकी दादी ने पाला था। उन्होंने नौवीं कक्षा में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी और राजनीति में आ गए थे। हालांकि, उन्होंने बाद में जेल से कला में इंटरमीडिएट किया। उनकी पत्नी रचना शाक्य भी एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता हैं और पार्टी गतिविधियों के दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी।

ओली ने 1966 में राजा के प्रत्यक्ष शासन के तहत निरंकुश पंचायत प्रणाली के खिलाफ लड़ाई में शामिल होकर एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। वह फरवरी 1970 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। पार्टी की सदस्यता लेने के तुरंत बाद वह भूमिगत हो गए। उसी वर्ष, उन्हें पहली बार पंचायत सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया था। ओली नेपाल के उन कुछ राजनीतिक नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कई साल जेल में बिताए। उन्होंने 1973 से 1987 तक लगातार 14 साल जेल में गुजारे।

अंतरिम सरकार के दौरान उपप्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया
जेल से रिहा होने के बाद, वह 1990 तक लुंबिनी क्षेत्र के यूएमएल प्रभारी के केंद्रीय समिति के सदस्य बने। वर्ष 1991 में वह झापा जिले से पहली बार प्रतिनिधिसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। ओली ने 1994-1995 में गृह मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया था। वर्ष 1999 में उन्हें झापा निर्वाचन क्षेत्र-2 से प्रतिनिधिसभा के लिए फिर से चुना गया। उन्होंने 2006 में गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान उपप्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *