चीन-पाकिस्‍तान की दोस्‍ती पर नजर, वियतनाम के रास्‍ते ड्रैगन पर नकेल कसेगा भारत!

हनोई/नई दिल्‍ली
लद्दाख और दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक व्‍यवहार का जोरदार तरीके से सामना कर रहे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री नगुएन शुआन फूक सोमवार को वर्चुअल बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में दोनों देशों के बीच भारत में बने 10 करोड़ डॉलर के गश्‍ती पोतों पर समझौता हो सकता है। साथ चीनी ड्रैगन के साथ निपटने की रणनीति भी बन सकती है। आइए जानते हैं कि कैसे ड्रैगन पर काबू पाने में वियतनाम भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है….

अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन लगातार साउथ चाइना सी में युद्धाभ्‍यास करके भले ही अमेरिका को संदेश रहा है लेकिन इसका असर अब उसके पड़ोसी देशों पर भी पड़ रहा है। इसी वजह से अब चीन की आक्रामकता का सामना कर रहा वियतनाम और भारत साथ आ रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि ये दोनों ही देश मिलकर चीन और पाकिस्‍तान की नापाक दोस्‍ती को करारा जवाब दे सकते हैं।

‘वियतनाम ने चीन के बमवर्षक विमान की जानकारी भारत को दी’
चीन ने दक्षिण चीन सागर में वियतनाम से सटे वूडी द्वीप पर अपना बेहद घातक बमवर्षक विमान एच-6 जे तैनात किया है। इससे वियतनाम काफी खफा है। वियतनाम ने कहा कि यह बॉम्‍बर न केवल वियतनाम की संप्रभुता का उल्‍लंघन है, बल्कि क्षेत्र में शांति के लिए संकट पैदा कर सकता है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों वियतनाम के राजदूत फाम सान्‍ह चाउ ने भारतीय विदेश सचिव हर्ष वर्द्धन श्रृंगला से मुलाकात करके साउथ चाइना सी में बढ़ते तनाव के बारे में बताया था। अब दोनों ही देशों के प्रधानमंत्री वर्चुअल बैठक कर रहे हैं।

ऑस्‍ट्रेलिया के न्‍यू साउथ वेल्‍स डिफेंस फोर्स अकादमी में प्रफेसर कार्लेयले थायर ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्‍ट से बातचीत में कहा कि वियतनाम के राजदूत की यह मुलाकात काफी मायने रखती है। उन्‍होंने कहा कि वियतनाम ने बमवर्षक विमान तैनात करने की जानकारी भारत को दी है। वियतनाम चीन के खिलाफ राजनीतिक समर्थन जुटाना चाहता है। वियतनाम के विदेशी मामलों के जानकार हूयंच ताम सांग ने कहा कि भारत के साथ संपर्क साधकर वियतनाम ने यह दिखा दिया है कि उसे भारत का न केवल समर्थन हासिल है बल्कि वह खुद भी साउथ चाइना सी में मुक्‍त आवागमन के भारत के मांग का समर्थन करता है।

चीन-पाकिस्‍तान को जवाब है भारत-वियतनाम दोस्‍ती
सांग ने कहा कि भारत और वियतनाम के बीच रक्षा संबंधों की मजबूती ठीक समय पर चीन को संदेश देगा। अमेरिका की रक्षा मंत्रालय में शोधकर्ता मोहन मलिक कहते हैं कि भारत और‍ वियतनाम की दोस्‍ती चीन और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते का जवाब है। उन्‍होंने कहा कि जिस तरह से चीन और पाकिस्‍तान भारत के खिलाफ आपस में समन्‍वय करते हैं और सैन्‍य कदम उठाते हैं, उसी तरह से नई दिल्‍ली और हनोई एक-दूसरे को ड्रैगन के खिलाफ जानकारी देने लगे हैं। जिस तरह से पाकिस्‍तान चाहता है कि चीन हिंद महासागर में अपनी मजबूत सैन्‍य उपस्थिति करे, उसी तरह से वियतनाम चाहता है कि भारतीय नौसेना साउथ चाइना सी में अपनी उपस्थित‍ि बढ़ाए।

भारत और वियतनाम दोनों ही रूसी हथियारों पर काफी हद तक निर्भर हैं। इस क्षेत्र में वे आपस में मदद कर सकते हैं। मोहन मलिक कहते हैं कि भारत और वियतनाम आपस में चीनी नेवी के बारे में खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान करके एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। भारत वियतनाम के तेल क्षेत्र में मदद कर रहा है। भारत दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस निकालने में अपनी भूमिका को और ज्‍यादा बढ़ा सकता है।

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