पर घिरी मोदी सरकार को अब विपक्ष ने भी एकजुट होकर घेरने का फैसला ले लिया है। कांग्रेस सहित 11 दलों के नेताओं ने गुरुवार को किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर बहस के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर दी। कांग्रेस के सीनियर नेता राहुल गांधी के अलावा एनसीपी चीफ शरद पवार, एसपी चीफ अखिलेश यादव, डीएमके नेता टीआर बालू, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित 11 दलों के नेताओं ने किसान कानून पर तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए साझा बयान जारी किया। विपक्षी दलों के नेताओं के अनुसार आने वाले दिनों में वे इस मांग को और तेज करेंगे। मालूम हो कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण संसद के शीतकालीन सत्र को टाल दिया।
सरकार ने पुराने वीडियो दिखाकर किया काउंटर
जब विपक्ष हमलावर होकर जमीन पर उतरी तो सरकार और बीजेपी ने दिया जवाब। बीजेपी सूत्रों ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पुराने भाषणों को जारी किया जिसमें वे कृषि में निजी हस्तक्षेप को किसानों के पक्ष में और बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान सभी एमएलए और विधायकों की ड्यूटी लगाते हुए उन्हें अपने-अपने क्षेत्र में किसानों के बीच रहने की हिदायत दी है। सरकार के तमाम मंत्री भी इस मौके पर किसानों के बीच रहेंगे। सरकार इसे किसानों तक पहुंचने का सबसे बड़ा कार्यक्रम मान रही है। इस मौके पर 18 हजार करोड़ की किसान सम्मान निधि की किश्त भी जारी की जाएगी।
सरकार का दावा- इस बार किसान नहीं ठुकराएंगे ऑफर
सरकार के अंदर पहली बार उम्मीद की किरण दिख रही है। एक सीनियर अधिकारी ने एनबीटी से कहा कि इस बार किसान संगठन सरकार के बातचीत के नए ऑफर को नहीं ठुकराएंगे। दरअसल अभी सरकार और किसानों के बीच सबसे बड़ी चुनौती बीच का रास्ता निकालने की है। सरकार किसानों से साफ कह रही है कि वह किसी भी सूरत में कानून को वापस नहीं लेगी जबकि किसानों का कहना है कि जब तक कानून को वापस नहीं लिया जाता है तब तक कोई बातचीत नहीं होगी। अब सरकार को लग रहा है कि एक बार फिर बातचीत का ऑफर देने के बाद किसानों का रूख नरम हो सकता है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बार किसानों को ही संशोधन का मसौदा बनाने दिया जा सकता है। सरकार को बातचीत की हड़बड़ी इस बात को लेकर भी है कि किसान आंदोलन भी पिछले कुछ दिनों से और व्यापक होने लगा है। किसान संगठनों का दावा है कि अगले दो दिनों में दिल्ली बॉर्डर पर दूसरे राज्यों से भी हजारों किसान आने वाले हैं। इनका दावा है कि महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार के भी कई किसान आंदोलन के समर्थन में जुटने वाले हैं। उधर, शरद पवार किसान आंदोलन को और धार देने के लिए अगले महीने पश्चिम बंगाल जा सकते हैं। उनकी वहां ममता बनर्जी के साथ रैली भी हो सकती है।