हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रैगिंग के एक मामले में आरोपी छात्रों को मिली राहत


बिलासपुर। रैगिंग के एक मामले में दो छात्रों को कठोर सजा दी गई, मगर जब यह मामला हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रायपुर के चांसलर और चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के पास पहुंचा तो उन्होंने छात्रों को माफी देते हुए भविष्य के लिए चेतावनी दी। साथ ही यह भी कहा कि शैक्षिक संस्थानों को सजा देते समय एक अभिभावक के रूप में सावधानी रखना भी जरूरी है।

ये है मामला
हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एक छात्र को 14 जुलाई 2023 को 5-6 छात्र देर रात उसके हॉस्टल के कमरे से अपने साथ ले गए। आरोपी छात्रों ने करीब 2 घंटे तक उसे अपने साथ रखा। उसे गालियां देते हुए गाना गाने और पोल डांस करने के लिए मजबूर किया गया। पीड़ित छात्र किसी तरह उनसे बचकर अपने कमरे में वापस लौट गया और दूसरे दिन तीन छात्रों के खिलाफ प्रबंधन से लिखित शिकायत की।

सजा के साथ लगाया जुर्माना
प्रबंधन ने शिकायत की जांच के बाद 18 जुलाई को इन तीनों छात्रों को यूनिवर्सिटी कैंपस खाली करने का आदेश देते हुए सस्पेंड कर दिया तथा आगे की कार्रवाई के लिए एंटी रैगिंग स्क्वाड के पास भेजा। एंटी रैगिंग स्क्वाड ने इनमें से दो छात्रों को दोषी पाया। दोनों को पीड़ित छात्र से लिखित में माफी मंगवाई गई। यूनिवर्सिटी की गतिविधियों में साल भर तक शामिल होने से रोक दिया गया, साथ ही 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया गया।

आरोपी छात्रों ने की अपील
इस सजा के खिलाफ दोनों आरोपी छात्रों ने यूनिवर्सिटी के चांसलर चीफ जस्टिस सिन्हा के समक्ष अपील की। चीफ जस्टिस ने पाया कि दोनों छात्रों को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया। साथ ही कार्रवाई केवल इन दो छात्रों पर ही की गई जबकि घटना में कुछ और छात्र शामिल थे। चांसलर ने दोनों छात्रों को भविष्य के लिए चेतावनी दी और सजा निरस्त कर दी। साथ ही कहा है कि वे पीड़ित छात्र को किसी तरह परेशान नहीं करेंगे।

शैक्षणिक संस्थान के प्रमुख का छात्रों के साथ बर्ताव अभिभावक जैसा होना चाहिए
चांसलर जस्टिस सिन्हा ने अपने आदेश में टिप्पणी की है कि शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग चिंताजनक रूप से बढ़ी है और इसे सख्ती से रोकने की जरूरत है। शैक्षणिक संस्थान के प्रमुख का छात्रों के साथ बर्ताव अभिभावक जैसा होना चाहिए। उनका उद्देश्य छात्र की गलती को सुधारना होना चाहिए और किसी छात्र के करियर में नुकसान न पहुंचे, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। अधिकतम जुर्माना आवश्यक नहीं था। कड़ी सजा से वैमनस्यता बढ़ सकती है और इससे समाज को नुकसान हो सकता है।

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