40 हज़ार लोगों की समस्याओं का समाधान
डॉ वात्सा ने अपने पूरे जीवन काल मे तकरीबन 40 हज़ार से भी ज्यादा लोगों की सेक्स से संबंधित समस्याओं का समाधान किया होगा। उन्होंने साठ के दशक में उनको पहली बार एक पत्रिका के लिए कॉलम लिखने का मौका हासिल हुआ था। हालांकि उम्र कम होने के चलते उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
सेक्स एजुकेशन के महत्व को जानते थे
डॉ. वात्सा को सेक्स एजुकेशन के महत्व के बारे में अच्छे से पता था। लोगों के आने वाले पत्रों के जरिये उन्होंने आम आदमियों की समस्यायों को भी समझा और उन्हें अपने जवाबों से हल करने का प्रयास किया। उन्होंने सबसे पहले फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया(FPAI) के लिए काम किया उसके बाद वे कॉउंसिल ऑफ सेक्स एजुकेशन एंड पैरेंटहुड इंटरनेशन(CSEPI) से जुड़ गए।
ऐसे देते थे सवालों का जवाब
मजाकिया लहजे में समझाते थे डॉ. वात्सा
प्रश्न: मुझे यह पता लगाना है कि मेरी होने वाली पत्नी वर्जिन है या नहीं, मुझे क्या करना चाहिए
उत्तर: डॉ वात्सा ने जवाब देते हुए कहा कि मैं तुमको शादी ना करने की सलाह दूंगा, जबतक तुम एक जासूस नहीं रख लेते। यह पता लगाना मुश्किल है। किसी लड़की पर अपने शक वाले दिमाग का इस्तेमाल ना करो।
प्रश्न– मैं अपनी गर्लफ्रैंड के लिए गर्भनिरोधक गोलियां लाया था, लेकिन जल्दबाजी में उसे खिलाने की जगह मैं खुद खा गया। क्या मुझे कोई तकलीफ होगी?
उत्तर– अगली बार से कंडोम का इस्तेमाल करो और उसे निगलना मत
पंजाबी थे डॉ. वात्सा
डॉक्टर वात्सा 11 फरवरी 1924 को पंजाब में पैदा हुए थे। उनके पिता फौज में डॉक्टर थे। बचपन मे वो अपने परिवार के साथ कुछ समय रंगून में भी रहे थे। मुंबई में डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात अपनी होने वाली पत्नी प्रोमिला से हुई। कई साल दोस्त रहने के बाद दोनों ने शादी कर ली। कई साल तक वात्सा परिवार के साथ यूके में भी गुजारे हैं। लेकिन पिता की तबियत खराब होने के बाद परिवार भारत लौट आया। वात्सा ने ग्लैक्सो (glaxo) कंपनी में मेडिकल अफसर की नौकरी करनी शुरू कर दी थी।
सेक्स पर बात करना मतलब अपराध
डॉ. वात्सा ने उस समय पर यह पेशा चुना जब आमतौर पर लोग इस विषय पर चर्चा करने से भी घबराते थे। अगर कहीं इस पर चर्चा करते हुए किसी ने सुन लिया तो मानो यह सबसे बड़ा गुनाह हो गया हो अपने करियर को उन्होंने साल 1960 के दौरान शुरू किया जब वे 30 साल की उम्र को पार कर चुके थे। तब उन्होंने एक महिला मैगजीन में मेडिकल एडवाइस कॉलम को लिखना शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने कई सारी महिला प्रधान पत्रिकाओं में सेक्स से जुड़े हुए कॉलम लिखें। जिनमें से फेमिना, फ्लेयर और ट्रेंड जैसी पत्रिकाएं प्रमुख हैं। वह अपने कॉलम के जरिए सेक्स से जुड़ी समस्याओं को चुटकियों में हल किया करते थे। महिला मैगजीन में लिखने के अलावा उन्होंने पुरुषों से जुड़ी हुई मैगजीन में भी अपने कॉलम लिखे हैं। जिनमें फेंटेसी और कई वेबसाइट शामिल हैं। एक महिला पाठक ने उनके खिलाफ अश्लीलता फैलाने का भी मामला अदालत में दायर किया था हालांकि बाद में यह मामला रफा-दफा हो गया था।