केपी ओली से हाथ मिलाने को तैयार नहीं प्रचंड, नेपाल में फेल होंगे चीन के 'चाणक्‍य'!

काठमांडू
नेपाल को हाथ से फिसलता देख आनन-फानन में काठमांडू के दौरे पर आए चीन के ‘चाणक्‍य’ कहे जाने वाले कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री गुओ येझु की कोशिशें फेल होती दिख रही हैं। नेपाल में डेरा डाले चीनी मंत्री और उनकी ‘फौज’ ने केपी शर्मा ओली के विरोधी पुष्‍प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल को प्रधानमंत्री से दोबारा हाथ मिलाने के लिए कहा लेकिन इन तीनों ही नेताओं ने दो टूक कह दिया कि अब काफी देर हो चुकी है और समझौता संभव नहीं है।

नेपाली अखबार काठमांडू पोस्‍ट के मुताबिक ओली के साथ मुलाकात के दौरान चीनी पक्ष ने उनके संसद को भंग करने के फैसले पर नाखुशी जताई। इस पर ओली ने चीनी पक्ष से कहा कि इस संकट के लिए वह जिम्‍मेदार नहीं हैं। ओली ने कहा कि उनकी नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी से उन्‍हें समर्थन नहीं मिला, इसकी वजह से उन्‍हें यह कदम मजबूरी में उठाना पड़ा। इसके बाद चीनी पक्ष ने ओली के विरोधी खेमे के नेता प्रचंड, झालानाथ खनल और माधव कुमार नेपाल से मुलाकात की।

चीन के चाणक्‍य ने तीनों नेताओं से कहा कि वे ओली के साथ फिर से हाथ मिला लें। इस पर ओली विरोधी नेताओं ने कहा कि स्थिति अब ऐसी जगह पर पहुंच गई है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। चीन को इस बात को लेकर भी चिंता है कि नेपाल में ताजा राजनीतिक संकट से काठमांडू-पेइचिंग के बीच ‘रणनीतिक भागीदारी’ का चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का सपना व्‍यर्थ साबित हो सकता है। चीन इस बात से नाराज है कि नेपाली नेताओं ने उससे वादा किया और अब पीछे हट रहे हैं।

विवाद को समुचित तरीके से संभालें नेपाली नेता: चीन
चीनी विदेश मंत्रालय ने नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के परस्पर विरोधी गुटों से सोमवार को यह भी अनुरोध किया कि वे अपने विवाद को समुचित तरीके से संभालें और राजनीतिक स्थिरता का प्रयास करें। यह पूछे जाने पर कि क्या गुओ के दौरे का लक्ष्य एनसीपी के दोनों धड़ों के बीच राजनीतिक सुलह कराना है, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने कहा कि चीन ने ‘नेपाल की राजनीतिक स्थिति के घटनाक्रम’ को संज्ञान में लिया है।

झाओ ने कहा, ‘एक मित्र और करीबी पड़ोसी होने के नाते हम यह उम्मीद करते हैं कि नेपाल में सभी पक्ष राष्ट्रीय हित और संपूर्ण परिदृश्य को ध्यान में रखेंगे और आंतरिक विवाद को समुचित तरीके से सुलझाएंगे तथा राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्रीय विकास को हासिल करने का प्रयास करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘सीपीसी स्वतंत्रता,पूर्ण समानता, परस्पर समान और गैर-हस्तक्षेप की विशेषता वाले अंतर-दलीय संबंधों के सिद्धांत को बढ़ावा देती है।’ उधर नेपाल के विदेश मंत्रालय ने चीन के हस्‍तक्षेपर कोई भी टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया है। उसका कहना है कि चीन के मंत्री बिना बुलाए ही नेपाल आए हैं और उसे उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

चीन के ‘चाणक्‍य’ ने वर्ष 2018 में प्रचंड-ओली में कराई थी एकता
सूत्रों के अनुसार, चीन एनसीपी में फूट से बेहद नाखुश है। चीनी मंत्री गुओ सत्तारूढ़ दल के दोनों गुटों के बीच मतभेद दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें एक गुट का नेतृत्व ओली कर रहे हैं जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व प्रचंड कर रहे हैं। इससे पहले गुओ ने फरवरी 2018 में काठमांडू की यात्रा की थी। उन्‍होंने ओली और प्रचंड के दलों के बीच विलय कराकर नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के गठन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चीनी मंत्री के साथ इस बार अधिकारियों की पूरी ‘फौज’ आई। बताया जा रहा कि मंत्री के अलावा 11 अन्‍य चीनी अधिकारी ओली सरकार पर दबाव डालने के लिए नेपाल पहुंचे हैं।

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