प्रदर्शनकारी किसान नेताओं के साथ तीन केंद्रीय मंत्रियों ने चखा लंगर

नई दिल्ली
नए कृषि कानूनों पर गतिरोध सुलझाने के लिए बुधवार को छठे दौर की वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के लंगर में तीन केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए। विज्ञान भवन में वार्ता आरंभ होने के करीब दो घंटे बाद बैठक स्थल के पास एक वैन से किसानों के लिए लंगर पहुंचाया गया। वार्ता के दौरान कुछ देर का भोजनावकाश रखा गया। इस दौरान किसान नेताओं के साथ मंत्रियों ने भी लंगर खाया।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने भी ब्रेक के दौरान किसान नेताओं के साथ लंगर खाया। पिछली कुछ बैठकों के दौरान किसान नेताओं ने खुद अपने भोजन, चाय-नाश्ते की व्यवस्था की थी और सरकार ने भोजन के लिए जो आयोजन किया था, वहां खाने से इनकार कर दिया था। बैठक शुरू होने से पहले कुछ किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि देश के कुछ भागों में किसान कीमतें गिरने के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर हैं।

उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘उत्तरप्रदेश में नए कृषि कानून लागू होने के बाद उपज की कीमत 50 प्रतिशत गिर गई। एमएसपी से कम पर उपज बेची जा रही है। धान की 800 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक्री हो रही है। हम बैठक में इन मुद्दों को उठाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी, तब तक हम दिल्ली छोड़कर नहीं जाएंगे। हम (दिल्ली) बॉर्डर पर ही नया साल मनाएंगे।’’

पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा नए कानूनों के लागू होने के बाद गुना और होशंगाबाद में फर्जीवाड़ा के मामलों से संबंधित मीडिया की खबरों के पोस्टर लेकर आए। सिरसा ने कहा, ‘‘हमारा कोई एजेंडा नहीं है। सरकार यह कहकर किसानों को बदनाम कर रही है कि वे वार्ता के लिए नहीं आ रहे हैं। हमने वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख दी थी। हमने अपना स्पष्ट एजेंडा उन्हें बता दिया लेकिन सरकार जोर दे रही है कि कानून किसानों के लिए लाभकारी है।’’ उन्होंने कहा कि नए कानूनों के लागू होने के बाद से फर्जीवाड़ा के कई मामले आ रहे हैं । केंद्रीय मंत्रियों और 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच विज्ञान भवन में दोपहर ढाई बजे के करीब बैठक शुरू हुई।

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