सुवेंदु अधिकारी टीएमसी में ममता के बाद सबसे लोकप्रिय और कद्दावर नेता हैं। वह सीएम ममता बनर्जी के दाहिने हाथ माने जाते हैं। जिस नंदीग्राम आंदोलन से ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता मिली थी, उस आंदोलन का आर्किटेक्ट सुवेंदु को माना जाता है। दक्षिण बंगाल के इलाकों में इनका काफी प्रभाव माना जाता है। सुवेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल में तृणमूल के लोकप्रिय चेहरे रहे हैं। उनका परिवार भी बंगाल की राजनीति में अच्छा खासा दखल रखता है। उनके भाई और पिता राजनीति में हैं और सांसद हैं।
पश्चिम बंगाल जीतने के लिए दक्षिण बंगाल में विजय पाना जरूरी है। राज्य का सबसे बड़ा उपक्षेत्र दक्षिण बंगाल है जिसमें ग्रेटर कोलकाता शामिल है। दक्षिण बंगाल आबादी के हिसाब से भी काफी घनत्व वाला क्षेत्र है और सत्ता की चाबी भी अपने पास रखता है। दक्षिण बंगाल के कुल 19 जिलों में से 8 जिलों में पूरे राज्य की 57 फीसदी विधानसभा सीटें आती हैं।
अधिकारी परिवार का दबदबा सुवेंदु अधिकारी के परिवार का पूर्वी मिदनापुर में दबदबा है। सुवेंदु के पिता शिशिर अधिकारी (79) पूर्व कांग्रेस एमएलए हैं। वह तृणमूल के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। सुवेंदु के दो भाई भी राजनीति के कुशल खिलाड़ी हैं। उनके भाई दिब्येंदु अधिकारी तमलुक से टीएमसी के सांसद हैं, वहीं सौमेंदु अभी तक कोन्टाई नगरपालिका के प्रशासक थे जिन्हें तृणमूल ने हटा दिया था।
63 विधानसभा सीटों पर है प्रभाव कहा जाता है कि अधिकारी परिवार का पूर्वी मिदनापुर और पड़ोसी जिलों की 63 विधानसभा सीटों पर कब्जा है। ये सीटें बंगाल की कुल 294 विधानसभा सीटों का लगभग 20 प्रतिशत हैं। ऐसे में जब बंगाल चुनाव को बहुत समय नहीं बचा है सुवेंदु का न होना तृणमूल के लिए परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि उसके पास पूर्वी मिदनापुर में सुवेंदु के कद का कोई नेता नहीं है।
ममता की दिक्कतें ऐसे बढ़ाएंगे सुवेंदु पश्चिम बंगाल में वामपंथियों के पास अब सिर्फ उनका वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध कोर वोटर आधार ही बचा है जो बीजेपी के साथ कभी नहीं जाएगा। ऐसे में बीजेपी का अपना प्रदर्शन सुधारने का एकमात्र रास्ता यही है कि वह खासकर दक्षिण बंगाल में टीएमसी के हिंदू वोटर के एक हिस्से को अपने साथ ले आए और सुवेंदु अधिकारी जैसे नेता इस काम में बीजेपी की मदद कर सकते हैं।