केंद्र सरकार के तीन नए कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कुछ किसान संगठन एक महीने से भी ज्यादा वक्त से आंदोलन कर रहे हैं। दूसरी तरफ, विपक्षी दलों का भी केंद्र की मोदी सरकार पर हमला जारी है। कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को सरकार पर किसानों के प्रति ‘निष्ठुर’ होने का आरोप लगाया और कहा कि उसे अपना ‘अड़ियल रवैया’ छोड़कर तीनों ‘काले कानूनों’ को वापस लेना चाहिए।
घोर असंवेदनशीलता का परिचय दे रही है सरकार : प्रियंका
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, ‘‘सर्द मौसम में दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसान भाइयों की मौत की खबरें विचलित करने वाली हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, अभी तक 57 किसानों की जान जा चुकी है और सैकड़ों बीमार हैं। महीनेभर से अपनी जायज मांगों के लिए बैठे किसानों की बातें न मानकर सरकार घोर असंवेदनशीलता का परिचय दे रही है।’’
किसानों की मांग का चिदंबरम ने किया समर्थन
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘सरकार को चाहिए कि वह कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत हो और उसे निरस्त करे। किसी भी नए कानून में किसान समुदाय की जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।’’
सुरजेवला ने कहा- सरकार किसानों के प्रति निष्ठुर
उधर, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘करनाल (हरियाणा) से संत बाबा राम सिंह व फाजिल्का (पंजाब) से अमरजीत सिंह के बाद बिलासपुर (उत्तराखण्ड) के किसान कश्मीर सिंह द्वारा में प्राणों की आहुति के समाचार से मन बेहद व्यथित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निष्ठुर सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़ते हुए 3 काले कानूनों को तुरंत वापस लेना चाहिए।’’
4 जनवरी को अगले दौर की बातचीत
ध्यान रहे कि किसान आंदोलन 38 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। एक तरफ वो तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने की मांग पड़ अड़े हैं तो दूसरी तरफ सरकार कानूनों में संशोधन को राजी है, लेकिन इन्हें वापस लेने को तैयार नहीं है। सरकार ने बीच का रास्ता निकालने के लिए किसानों के साथ कई दौर की बातचीत कर ली है, लेकिन अब तक प्रभावी परिणाम नहीं निकल पाया है। 4 जनवरी को किसानों और केंद्र सरकार के बीच अगले दौर की वार्ता होगी।