पाकिस्तानी अदालत ने टू-फिंगर टेस्ट को अवैध-असंवैधानिक करार दिया, यौन अपराध पीड़ितों की बड़ी जीत

रेप और यौन शोषण के मामलों में अब तक किए जाने वाले टू-फिंगर टेस्ट को आखिरकार पाकिस्तान की एक अदालत ने अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। लाहौर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस आयशा मलिक ने इस मामले में फैसला सुनाया है। लंबे वक्त से इस रुढ़िवादी प्रथा का विरोध सामाजिक आंदोलनों के जरिए किया जा रहा था और पिछले साल मार्च में इसके खिलाफ एक याचिका दाखिल की गई थी।

Two Finger Test: पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट ने रेप और यौन प्रताड़ना के मामलों में किए जाने वाले Virginity टेस्ट को अवैध और असंवैधानिक जरूरत बताया है।

पाकिस्तानी अदालत ने टू-फिंगर टेस्ट को अवैध-असंवैधानिक करार दिया, यौन अपराध पीड़ितों की बड़ी जीत

रेप और यौन शोषण के मामलों में अब तक किए जाने वाले टू-फिंगर टेस्ट को आखिरकार पाकिस्तान की एक अदालत ने अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। लाहौर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस आयशा मलिक ने इस मामले में फैसला सुनाया है। लंबे वक्त से इस रुढ़िवादी प्रथा का विरोध सामाजिक आंदोलनों के जरिए किया जा रहा था और पिछले साल मार्च में इसके खिलाफ एक याचिका दाखिल की गई थी।

क्या होता है टू-फिंगर टेस्ट?
क्या होता है टू-फिंगर टेस्ट?

इस टेस्ट में महिला के प्राइवेट पार्ट के साइज और इलास्टिसिटी का अंदाजा लगाया जाता है। इसके आधार पर डॉक्टर रेप पीड़िता की सेक्शुअल हिस्ट्री का पता लगाता है। अगर महिला अविवाहित है लेकिन सेक्शुअली ऐक्टिव है तो इसे नैतिक रूप से गलत माना जाता है। टू-फिंगर टेस्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘वर्जिनिटी टेस्ट की कोई वैज्ञानिक या मेडिकल जरूरत नहीं होती है लेकिन यौन हिंसा के मामलों में मेडिकल प्रोटोकॉल के नाम पर इसे किया जाता रहा है। यह शर्मिंदा करने वाला काम है जिसे पीड़ित पर आरोप लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बजाय आरोपी पर ध्यान देने के।’

दोहराया जाता है जुल्म
दोहराया जाता है जुल्म

इस वर्जिनिटी टेस्ट को भारत और बांग्लादेश समेत दुनिया के कई देशों में बैन कर दिया गया है लेकिन पाकिस्तान में यह जारी रहा। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक यह टेस्ट अपने-आप में अनैतिक है। रेप के केस में हाइमन की जांच का ही औचित्य नहीं होना चाहिए। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन तो है ही, इस टेस्ट की वजह से न सिर्फ पीड़िता को शारीरिक बल्कि मानसिक यातना का सामना भी करना पड़ता है। एक तरह से यह उसके साथ पूरा जुल्म दोहराने के जैसा है।

न्याय की उम्मीद छोड़ देते हैं परिवार
न्याय की उम्मीद छोड़ देते हैं परिवार

इस टेस्ट की वजह से न सिर्फ महिलाओं को लेकर रुढ़िवादी रवैया बरकरार रहता है बल्कि बाल यौन शोषण और मैरिटल रेप जैसी समस्यों पर पर्दा भी पड़ता है। इनकी वजह से कई परिवार न्याय की उम्मीद भी छोड़ देते हैं। पुलिस से लेकर अस्पताल के स्टाफ तक, सबका रवैया ऐसा होता है कि पीड़ित के लिए यह अपने आप में बुरे सपने की तरह होता है। दुनियाभर में इस टेस्ट का इस्तेमाल लड़कियों के पैरंट्स से लेकर भावी पार्टनर, यहां तक इम्प्लॉयर तक करते हैं।

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