हिंदी सिनेमा के हर फैन की एक ऐसी चाहत है जो 90 के दशक से अधूरी है। चाहत कि बॉलिवुड के तीनों खान एकसाथ एक फिल्म में नजर आएं। हसरत कि सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान के फैन्स एकसाथ एक थिएटर में बैठकर सीटियां बजाएं। तीनों खान एकसाथ काम की इच्छा तो जाहिर करते हैं, लेकिन लगे हाथ कभी कहानी तो कभी बजट और कभी डेट्स का बहाना बना लेते हैं। दिवंगत ऐक्टर ऋषि कपूर ने यह बात बड़े पुख्ता तौर पर कही थी कि तीनों खान चाहकर भी एक फिल्म में कभी काम नहीं कर सकते। इसके पीछे उन्होंने कुछ तर्क दिए थे, जो वाकई काबिल-ए-गौर हैं।
Rishi Kapoor Once Said Salman Shahrukh and Aamir Can Never Work Together: पर्दे पर तीनों खान को एकसाथ देखने की हसरत हर बॉलिवुड फैन की है। लेकिन शायद ही ऐसा कभी हो पाएगा! ऐसा इसलिए भी कि खुद ऋषि कपूर ने यह बात कही थी कि चाहकर भी शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान कभी एकसाथ काम नहीं कर पाएंगे।
हिंदी सिनेमा के हर फैन की एक ऐसी चाहत है जो 90 के दशक से अधूरी है। चाहत कि बॉलिवुड के तीनों खान एकसाथ एक फिल्म में नजर आएं। हसरत कि सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान के फैन्स एकसाथ एक थिएटर में बैठकर सीटियां बजाएं। तीनों खान एकसाथ काम की इच्छा तो जाहिर करते हैं, लेकिन लगे हाथ कभी कहानी तो कभी बजट और कभी डेट्स का बहाना बना लेते हैं। दिवंगत ऐक्टर ऋषि कपूर ने यह बात बड़े पुख्ता तौर पर कही थी कि तीनों खान चाहकर भी एक फिल्म में कभी काम नहीं कर सकते। इसके पीछे उन्होंने कुछ तर्क दिए थे, जो वाकई काबिल-ए-गौर हैं।
‘मेरे और अमिताभ के बीच भी थी टेंशन’
ऋषि कपूर अपनी किताब ‘खुल्लम खुल्ला’ में इस बारे में जिक्र करते हैं। ऋषि कपूर कहते हैं, ‘एक दौर था जब मेरे और अमिताभ बच्चन के बीच टेंशन रहती थी। हमने इस बारे में कभी बात नहीं की, लेकिन कुछ तो था। किस्मत से ‘अमर अकबर एंथनी’ के बाद हमदोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए और यह बात कहीं गायब हो गई। वह उस समय पर्दे के एंग्री यंग मैन थे।’
अमिताभ का मतलब था दूसरों के लिए सेकेंडरी रोल
ऋषि साहब लिखते हैं, ‘अमिताभ यकीनन उस दौर के सबसे बड़े सुपरस्टार थे। वह पर्दे पर एंग्री यंग मैन थे। ऐक्शन हीरो। बॉलिवुड में हमेशा से ऐक्शन हीरो की पूछ रही है। यह वह दौर था जब राइटर-डायरेक्टर अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट भी अमिताभ और उनके ऐक्शन अवतार को ध्यान में रखकर लिखते थे। यह एक ऐसा एडवांटेज था, जो अमिताभ को मिलता था। फिल्म में उनके साथ काम करने का मतलब था कि साथी कलाकारों के रोल उनसे कमतर ही होंगे।’
अमिताभ ने साथी कलाकारों को कभी नहीं दिया क्रेडिट
कपूर साहब आगे कहते हैं, ‘हम बाकी ऐक्टर्स उस वक्त अमिताभ के होने पर यही मानते थे कि जो बचा हुआ है, वह हमें मिला है। यह बात अमिताभ ने कभी नहीं मानी न किसी किताब में, न किसी इंटरव्यू में। उन्होंने कभी अपने साथी कलाकारों को क्रेडिट नहीं दिया। उन्होंने हमेशा राइटर-डायरेक्टर्स को क्रेडिट दिया। फिर चाहे वह सलीम-जावेद हों या मनमोहन देसाई।’
साथ काम करने में नहीं थी कोई आनाकानी
किताब में ऋषि कपूर आगे कहते हैं कि अमिताभ की सफलता में उनके को-ऐक्टर्स का बड़ा हाथ रहा है। फिर चाहे वह ऋषि कपूर हो, विनोद खन्ना हो या शत्रुघ्न सिन्हा या धर्मेंद्र। सच यही था कि ऐक्टर्स तब सेकेंडरी रोल करने में भी गुरेज नहीं करते थे। तब इन बातों को ऐक्टर्स बड़े सहज तरीके से लेते थे। कोई खुद को कमतर नहीं समझता था। ऋषि कहते हैं, ‘ऐसा नहीं था कि कोई खराब ऐक्टर था और दूसरा अच्छा। बात बस यह थी कि टेढ़ा सिक्का चल रहा था। लेकिन यह आज संभव नहीं है। कोई खान आज एक-दूसरे के साथ काम नहीं करता। कोई भी दूसरा ऐक्टर, किसी तीसरे सुपरस्टार के साथ काम करने को तैयार नहीं है।’
‘खान नहीं चाहेंगे वो फिल्म में सेकेंडरी हों’
‘खुल्लम खुल्ला’ में ऋषि कपूर बड़ी ही बेबाकी से लिखते हैं, ‘यदि आज शाहरुख खान इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं तो सलमान खान या आमिर खान उनके साथ सेकेंडरी रोल में काम नहीं करना चाहेंगे। विनोद खन्ना ने ‘खून पसीना’ में गजब का काम किया। शत्रुघ्न सिन्हा ने ‘काला पत्थर’ में मजमा लूट लिया। शशि अंकल ने ‘कभी कभी’ में जबरदस्त काम किया। सभी सेकेंडरी रोल में थे, लेकिन सभी ने साथ में काम किया।’