भारतीय रक्षा उद्योग के लिए नए साल में अच्छी खबर है। लंबे समय में पेंडिंग दो रक्षा सौदे इस साल अंजाम तक पहुंचने वाले हैं। ये सौदे सैन्य विमानों की खरीद से जुड़े हैं और इनकी कुल राशि 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है। 83 स्वदेशी तेजस विमानों की खरीद के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) के साथ करार होगा। दूसरा सौदा 56 मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए टाटा-एयरबस के जॉइंट वेंचर के साथ होगा। इन पर अगले कुछ महीनों में हस्ताक्षर हो सकते हैं।
डिफेंस पीएसयू हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स के साथ 83 तेजस मार्क-1ए की खरीद के लिए 37,000 करोड़ रुपये का सौदा स्वदेशी मिलिट्री एविएशन सेक्टर के इतिहास में सबसे बड़ा सौदा होगा। इन विमानों की आपूर्ति सौदे पर हस्ताक्षर होने के तीन साल बाद शुरू होगी। इसमें तेजस मार्क-1 की तुलना में 43 इम्प्रूवमेंट होंगे। वायुसेना पहले ही 40 तेजस मार्क-1 का ऑर्डर दे चुकी है।
कितने साल में मिलेंगे विमान56 ट्विन टर्बोप्रॉप सी-295 एयरक्राफ्ट बनाने का टाटा-एयरबस का प्रोजेक्ट में पहला मौका होगा जब भारत की कोई निजी कंपनी डिफेंस एयरोस्पेस सेक्टर में प्रवेश करेगी। ये विमान वायुसेना के एवरो-748 विमानों की जगह लेंगे। अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के दो साल के भीतर एयरबस 16 विमानों की आपूर्ति करेगी। उसके बाद 40 विमान आठ वर्षों में भारत में बनाए जाएंगे। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत 11929 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
दोनों प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी को भेज दिए गए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि कमेटी पहले तेजस प्रोजेक्ट को मंजूरी देगी। इस पर फरवरी की शुरुआत में हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इसके बाद सी-295 को मंजूरी मिलेगी जिसमें टाटा ग्रुप घरेलू प्रोडक्शन एजेंसी के तौर पर शामिल होगा।