उनका थोड़ा ख्याल रखिए! देश के 7.5 करोड़ बूढ़े मां-बाप की यह हेल्थ रिपोर्ट आपको भी टेंशन में डाल देगी

सुषमी डे, नई दिल्लीकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अध्ययन में देश के बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस अध्ययन के मुताबिक, 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 7.5 करोड़ बुजुर्ग किसी-न-किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। यह आंकड़ा लॉन्गिट्यूडनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI) में सामने आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 207-18 में बुजुर्गों पर दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे किया जिसका पहला भाग बुधवार को जारी किया गया है।

कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं देश के 27% बुजुर्ग
सर्वे के परिणाम कई चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। पता चला है कि देश की करीब 27 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी एक से ज्यादा जानलेवा बीमारियों से ग्रस्त है। वहीं, करीब 40 प्रतिशत बुजुर्ग किसी-न-किसी रूप से अपंग हैं जबकि 20 प्रतिशत बुजुर्गों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं झेलनी पड़ रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह सर्वे इसलिए किया है ताकि बुजुर्गों के लिए बनने वाली केंद्र और राज्यों की सरकारी योजनाओं की प्राथमिकता तय करना सुविधाजनक हो।

सर्वे में 72,250 लोगों को किया गया शामिल
यह स्टडी के पहले भाग में 45 वर्ष और इससे ज्यादा उम्र के 72,250 लोगों के नमूने एकत्र किए गए। इनमें पति-पत्नी दोनों शामिल हैं। इन 72,250 में 31,464 लोगों की उम्र 60 वर्ष या इससे ऊपर है जबकि 6,749 लोग 75 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के हैं। सर्वे में सिक्किम को छोड़कर सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल किए गए हैं।

सर्वे रिजल्ट से बुजुर्गों के लिए सरकारी योजनाएं तय करने में मिलेगी मदद
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा, “यह भारत का पहला और दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा लॉन्गिट्यूडनल डेटाबेस है जो बुजुर्गों के लिए सरकारी नीतियां और कार्यक्रमों के निर्माण में सहायक साबित होगा। इससे बुजुर्गों की सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सेहत का ख्याल रखने के लिए योजनाओं की दिशा तय करने में मददगार होगा।” उन्होंने कहा, “2011 की जनगणना में देश की कुल आबादी के 8.6 प्रतिशत 60 वर्ष से ज्यादा की उम्र के बुजुर्ग थे। इनकी कुल आबादी 10.30 करोड़ थी। अगर 3% की सालाना वृद्धि मान ली जाए तो 2050 तक भारत में 31.90 करोड़ बुजुर्ग जनसंख्या होने का अनुमान है।”

तनाव से लेकर कैंसर तक, कई गंभीर बीमारियां
गंभीर बीमारियों का पता लगाने के लिए सर्वे के दौरान बुजुर्गों की स्वास्थ्य जांच की गई। इससे बुजुर्गों में हाइपरटेंशन, आखों की रोशनी घटने (दृष्टि क्षीणता), ज्यादा वजन (ओवरवेट) या मोटोपा, कुपोषण और सांस संबंधी गंभीर बीमारियां सामने आई हैं। गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 वर्ष और इससे ज्यादा उम्र के करीब दो-तिहाई बुजुर्गों के अलग-अलग रोगों का इलाज किया गया। इनमें 77% हाइपरटेंशन, 74% दिल से संबंधी गंभीर बीमारियों, 83% मधुमेह (डाइबिटीज), 72% फेफड़े संबंधी गंभीर बीमारियां और 75% कैंसर की बीमारियों के मरीज थे। वहीं, आधा से ज्यादा 58% बजुर्गों के स्ट्रोक की बीमारी का इलाज हुआ जबकि 56% हड्डियों या जोड़ों संबंधी और 41% के मानसिक बीमारियों का इलाज किया गया।

शहरी क्षेत्रों के बुजुर्गों का ज्यादा होता है इलाज
सर्वे से साफ हो गया कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गंभीर रोगों से ग्रसित बुजुर्गों के इलाज की दर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्गों के मुकाबले ज्यादा है। इस सर्वेक्षण में एक बड़ी बात सामने यह आई कि छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बुजुर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं तुलनात्मक रूप से ज्यादा बड़े पैमाने पर चलाई जा रही हैं जबकि देश के उत्तर, पूर्व और मध्य क्षेत्र के राज्यों में सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं लगभग नगण्य हैं।

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