ईरानी-अफगानी सुर्ख लाल सेबों की आवक से घटे हिन्दुस्तानी सेबों के दाम!

सूरज सिंह, नई दिल्ली
दिल्ली की मंडियों में समय से पहले ही ईरानी-अफगानी सेबों की आवक से हिन्दुस्तानी सेबों की रेट घट गए हैं। इससे यहां के सेब कारोबारियों के साथ कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सेब किसानों की टेंशन बढ़ गई है। कश्मीर एप्पल मर्चेंट असोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट विजय तालरा ने बताया कि ईरान का सेब शायद अफगानिस्तान के जरिए वाघा बॉर्डर से भारत में आ रहा है। अफगानिस्तान से आने वाले सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती है। इसलिए इसके रेट कम हैं और बाजार में सस्ता उपलब्ध हो रहा है। इससे भारतीय किसान नुकसान की कगार पर आ गए हैं। इस सीजन में 15-20 दिन पहले ही ईरान-अफगानी सेब मार्केट में पहुंच गया है। जबकि हर साल भारतीय सेबों की बिक्री के बाद ईरानी-अफगानी सेब बाजार में आता था।

विदेशी सेब देखने में खूबसूरत और सुर्ख लाल होता है, जो ग्राहक को आकर्षित भी करता है। दिल्ली में रोजाना करीब 20 से 50 गाड़ियों में ईरानी-अफगानी सेब आ रहा है। एक गाड़ी में करीब 1 हजार क्रेट होती है। प्रत्येक क्रेट में 8 से 11 किलो सेब होते हैं। वहीं देसी सेब की पेटी में 15 किलो तक सेब आता है। कारोबारियों की डिमांड है कि भारत सरकार विदेशी सेबों पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाए, जिससे भारत के किसान को घाटा नहीं हो। कुछ इंपोर्टर्स की वजह से स्थानीय व्यापारी और किसानों को घाटा सहना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार से निवेदन है कि आजादपुर मंडी में जो शेड बनाए गए हैं, ये हिन्दुस्तान के किसान का माल बेचने के लिए सरकार ने बनाए हैं। इसमें विदेशी फल और सब्जी नहीं बेची जानी चाहिए। ताकि भारतीय किसानों को बचाया जा सके।

20-30 रुपए किलो सस्ता बिक रहा देसी सेब
भारत और अफगानिस्तान में गहरी मित्रता है। यही वजह है कि वहां की इकॉनोमी को बूस्ट करने के लिए भारत सरकार ने व्यापार क्षेत्र में कारोबारियों को राहत दी है। वहां से भारत आने वाले सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती है। इसी का नाजायज फायदा उठाकर कुछ ट्रेडर्स ईरान का सेब अफगानिस्तान लाते हैं और वहां सेब को अफगानिस्तान का दिखाकर भारत को निर्यात करते हैं। इससे भारतीय किसान का सेब नहीं बिक रहा।

सेब कारोबारी राकेश कोहली बताते हैं कि कश्मीर और हिमाचल के सेब ईरान-अफगानिस्तानी सेब के मुकाबले 20 से 30 रुपए किलो सस्ते बिक रहे हैं। अमेरिका, न्यूजीलैंड या टर्की समेत कहीं से भी सेब आए, तो कारोबारियों को परेशानी नहीं है। बशर्ते, सरकार को टैक्स जाए। अब कश्मीर के किसानों ने सेब को कोल्ड स्टोरेज में रखा। कोरोना काल में किसी तरह खेती की। अब अपने सेब का सही दाम भी नहीं पा सके, तो ठीक नहीं है। इसके लिए एपीएमसी को भी पत्र लिखा है। कश्मीर और हिमाचल के किसानों ने वहां की सरकारों को भी इस समस्या से अवगत कराया है।

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