Australia vs India: मैकग्रा ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को रहाणे, गिल और जडेजा से सबक लेने को कहा

सिडनी
अपने जमाने के दिग्गज तेज गेंदबाज ग्लेन मैकग्रा ने भारत के खिलाफ वर्तमान सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर निराशा व्यक्त करते हुए उन्हें अजिंक्य रहाणे और से सबक लेने की सलाह दी। मैकग्रा 1-1 से बराबर चल रही चार मैचों की सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के अभी तक के रवैये से खुश नहीं हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अधिकतर भारतीयों की तरह मेरी भी राय है कि उन्होंने (भारतीय गेंदबाजों) ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की मानसिकता को भांपकर गेंदबाजी की और जैसा मैंने पहले कहा था कि वे (ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज) थोड़ा डरे हुए थे। ’

मैकग्रा ने कहा, ‘वे रन बनाने और गेंदबाजों पर हावी होने के बजाय अपने विकेट बचाए रखने पर ध्यान दे रहे थे। जब आपको पता चलता है कि बल्लेबाज पिच पर टिके रहने के लिए संघर्ष कर रहा है तो इससे गेंदबाज को थोड़ा मौका मिल जाता है और फिर बल्लेबाज को आउट करने में देर नहीं लगती।’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि जिस तरह से रहाणे ने बल्लेबाजी की, गिल ने बल्लेबाजी की, ऋषभ पंत, जडेजा ने बल्लेबाजी की, इन खिलाड़ियों ने दिखाया कि कैसे बल्लेबाजी करनी चाहिए। ’

मैकग्रा ने भारतीय गेंदबाजों की प्रशंसा की और स्वयं को जसप्रीत बुमराह का बड़ा प्रशंसक करार दिया। उन्होंने कहा, ‘आप भारतीय गेंदबाजों से श्रेय नहीं छीन सकते हो। जसप्रीत बुमराह ने जिस तरह से श्रृंखला में गेंदबाजी की है वह शानदार है। मैं बुमराह का बड़ा प्रशंसक हूं। मैंने कुछ अवसरों पर उससे बात की तथा वह जिस तरह से सोचता है और उस पर अमल करता है वह मुझे पसंद है। ’

भारतीय गेंदबाजों ने जिस लेंथ पर गेंदबाजी की उससे भी मैकग्रा प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, ‘वह (बुमराह) ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में गेंदबाजी करने का आनंद लेता है। मोहम्मद सिराज टीम में आया। मुझे लगता है कि उन्होंने अच्छी लेंथ पर गेंदबाजी की। ऑस्ट्रेलिया में कभी आप अच्छी उछाल हासिल कर सकते हो और शार्ट पिच गेंदबाजी करते हो लेकिन उन्होंने अच्छी लेंथ से गेंदबाजी की।’

मैकग्रा ने रविचंद्रन अश्विन की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘रवि अश्विन जिस तरह से गेंदबाजी करता है। वह हमेशा पहले टेस्ट मैच में अच्छी गेंदबाजी करता है लेकिन फिर सीरीज के बाकी मैचों में वैसी लय नहीं रख पाता लेकिन उसने जिस तरह से मेलबर्न में गेंदबाजी की वह बेजोड़ थी।’

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