अमेरिकी लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला, इन तस्वीरों से शर्म से झुक जाएंगी सुपरपावर की नजरें

अमेरिका में 6 जनवरी को हुई हिंसा ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का राजनीति की आग में झुलसना जारी है और लोकतंत्र का सबसे बड़ा संस्थान संसद इसकी चपेट में है। इसे न सिर्फ चुनावी नतीजों को अस्वीकार करते हुए हिंसक प्रदर्शन करने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान करार दिया जा रहा है, बल्कि शर्मनाक बताया जा रहा है। 7 जनवरी को ही 1789 में अमेरिका में सबसे पहले राष्ट्रपति चुनाव हुए थे और आज यह देश सबसे बड़ी वैश्विक शक्ति के पद पर बैठा है। बावजूद इसके वहां पैदा हुए हालात पर पूरी दुनिया दुखी है…

US Capitol Violence: अमेरिका की संसद पर डोनाल्ड ट्रंप समर्थकों ने चढ़ाई कर दी। इससे शुरू हुई हिंसा में चार लोगों की जान भी चली गई।

अमेरिकी लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला, इन तस्वीरों से शर्म से झुक जाएंगी सुपरपावर की नजरें

अमेरिका में 6 जनवरी को हुई हिंसा ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का राजनीति की आग में झुलसना जारी है और लोकतंत्र का सबसे बड़ा संस्थान संसद इसकी चपेट में है। इसे न सिर्फ चुनावी नतीजों को अस्वीकार करते हुए हिंसक प्रदर्शन करने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान करार दिया जा रहा है, बल्कि शर्मनाक बताया जा रहा है। 7 जनवरी को ही 1789 में अमेरिका में सबसे पहले राष्ट्रपति चुनाव हुए थे और आज यह देश सबसे बड़ी वैश्विक शक्ति के पद पर बैठा है। बावजूद इसके वहां पैदा हुए हालात पर पूरी दुनिया दुखी है…

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विश्व नेताओं ने जताया दुख
विश्व नेताओं ने जताया दुख

इस हिंसा की दुनियाभर के नेताओं ने निंदा की है और इसकी वजह से देश में पैदा हुए हालात पर दुख जताया है। अलग-अलग देशों के नेताओं ने शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘महासचिव वॉशिंगटन डीसी के यूएस कैपिटल में हुई घटनाओं से दुखी हैं। ऐसी स्थिति में, यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक नेता अपने समर्थकों को हिंसा से दूर रहने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया और कानून के शासन में विश्वास करने के लिए राजी करें।’

‘गलत हो रहा है’
'गलत हो रहा है'

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेंसिंडा आर्डन ने एक बयान में कहा, ‘जो हो रहा है, वह गलत है।’ उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में लोगों के पास मतदान करने का, अपनी बात रखने और फिर उस फैसले को शांतिपूर्ण तरीके से मनवाने का अधिकार होता है। इसे भीड़ को उलटना नहीं चाहिए।’ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट किया, ‘अमेरिकी संसद परिसर में अशोभनीय दृश्य देखने को मिले। अमेरिका विश्व भर में लोकतंत्र के लिए खड़ा रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और तय प्रक्रिया के तहत उचित तरीके से हो।’

‘बंद हो लोकतंत्र पर हमला’
'बंद हो लोकतंत्र पर हमला'

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अमेरिका में हिंसा की घटनाओं को दुखद बताया है। उन्होंने कहा, ‘वॉशिंगटन में हंगामे और प्रदर्शन की घटनाएं व्यथित करने वाली हैं। ये चिंताजनक है।’ अमेरिका में चीनी दूतावास ने भी अपने नागरिकों को हालात से सावधान किया है। चीन ने अमेरिका में अपने नागरिकों से सतर्क रहने को कहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने ट्विटर पर लिखा, ‘ट्रंप और उनके समर्थकों को अमेरिकी मतदाताओं का फैसला स्वीकार कर लेना चाहिए और लोकतंत्र पर हमला बंद करना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘भड़काऊ बयानों से हिंसक कार्रवाइयां होती हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति तिरस्कार का खतरनाक परिणाम होता है।’

‘लोकतंत्र की खूबसूरती?’
'लोकतंत्र की खूबसूरती?'

नाइजीरिया के राष्ट्रपति के निजी सहायक बशीर अहमद ने ट्वीट किया, ‘लोकतंत्र की खूबसूरती?’ नाइजीरिया में आजादी के बाद कई बार तख्तापलट हो चुके हैं। वहां कई दशक बाद लोकतांत्रित तरीके से मुहम्मदू बुहारी के नेतृत्व में सरकार बनी है। चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा और कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक उन लातीन अमेरिकी देशों के नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने प्रदर्शनकारियों की निंदा की। दोनों नेताओं ने भरोसा जताया कि अमेरिका में लोकतंत्र और कानून का शासन कायम रहेगा।

‘ट्रंपवाद का नतीजा’
'ट्रंपवाद का नतीजा'

इटली में भी लोगों ने हिंसा की घटना पर हैरानी जताई और कहा कि अमेरिका को हमेशा लोकतांत्रिक देश के मॉडल के तौर पर देखा जाता है। इटली के वामपंथी नेता (सेवानिवृत्त) पीरलुजी कास्ताजनेती ने ट्वीट किया, ‘यह ‘ट्रंपवाद’ का नतीजा है।’ स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘यह देशद्रोह है।’ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनका देश अमेरिका में कैपिटल परिसर में हुई हिंसा की घटना से ‘बहुत क्षुब्ध’ है। कनाडा अमेरिका का करीबी सहयोगी देश रहा है। यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड ससोली ने भी अमेरिका में हिंसा की घटना की निंदा की है।

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