मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद को दुनिया के 20 सबसे खतरनाक चरमपंथियों की सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने कुछ महीने पहले ही फ्रांस में हुए आतंकी हमलों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। महाथिर भारत के खिलाफ भी खासे आक्रामक रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान और तुर्की के साथ मिलकर मुस्लिम देशों का अलग गुट बनाने का भी प्रयास किया था। हालांकि, सऊदी अरब के दबाव के बाद इमरान खान ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे।
खूंखार आतंकियों की लिस्ट में महाथिर शामिल
अमेरिकी संस्था काउंटर एक्सट्रीमिज्म प्रोजेक्ट (CEP) की दुनिया के शीर्ष 20 सबसे खतरनाक चरमपंथियों की सूची में महाथिर मोहम्मद को 14वें स्थान पर रखा गया है। इस सूची में फिलिस्तीनी समूह के महासचिव हिजबुल्ला, हसन नसरल्लाह भी शामिल हैं। इनके अलावा खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का खलीफा कहे जाने वाले अमीर मुहम्मद सईद अब्दल-रहमान अल-मावला को भी इस सूची में स्थान मिला है।
संस्था ने महाथिर को बताया अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
सीईपी हर साल आतंकवादी विचारधाराओं और विश्वासों को मानने वाले खूंखार लोगों की सूची बनाता है। इस सूची में शामिल लोगों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा माना जाता है। अपनी लिस्ट में सीईपी ने महाथिर मोहम्मद को पश्चिमी देशों का आलोचक और विरोधी के रूप में नामित किया है। इसके अलावा महाथिर के फ्रांस में अक्टूबर 2020 के आतंकवादी हमले को लेकर की गई टिप्पणी का भी उल्लेख किया गया है।
विवादास्पद बयानों का दिया हवाला
काउंटर एक्सट्रीमिज्म प्रोजेक्ट ने महाथिर को किसी भी देश में हिंसा के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं माना है। हालांकि, महातिर ने पश्चिम के खिलाफ चरमपंथी हिंसा का समर्थन किया था। उनके विवादास्पद विचारों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा भी हुई थी। फ्रांस में आतंकवादी हमले के बाद महाथिर ने उसके समर्थन में एक ट्वीट किया था।
आतंकवाद के खिलाफ काम करती है यह संस्था
सीईपी की स्थापना 2014 में अमेरिका के पूर्व सरकारी अधिकारियों ने की थी। इस संस्था ने अपने मिशन को आईएस आतंकवादी समूह को खदेड़ने पर विशेष ध्यान देने के साथ वैश्विक चरमपंथ से लड़ने के रूप में वर्णित किया है।
फ्रांस में आतंकी हमले पर महाथिर ने कहा क्या था?
महाथिर ने फ्रांस में चेचन्याई छात्र द्वारा फ्रांसीसी टीचर सैमुअल पेटी की नृशंस हत्या का जिक्र करते हुए लिखा था कि ‘मुस्लिमों को आक्रोशित होने का अधिकार है। उन्हें पूर्व में किए गए नरसंहार के लिए लाखों फ्रांसीसी नागरिकों को मारने का पूरा हक है। लेकिन अभी तक मुस्लिम आंख के बदले आंख की ओर नहीं बढ़े हैं। फ्रांस को अपने नागरिकों को दूसरे की भावनाओं का ख्याल करना की सीख देनी चाहिए।’