किसान आंदोलन के बीच कांग्रेस सवालों के घेरे में है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी से लेकर पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के पुराने ऐसे बयान सामने आ रहे हैं, जिनमें वे लगभग उन्हीं बातों की वकालत कर रहे हैं, जो किसान कानून का हिस्सा हैं। उधर राहुल के विदेश चले जाने की वजह से उनकी छवि को भी नुकसान पहुंचा है, पार्टी को उनके बचाव में कई तर्क गढ़ने पड़े हैं। कांग्रेस पार्टी से जुड़े इन्हीं तमाम मुद्दों पर एनबीटी नैशनल ब्यूरो की विशेष संवाददाता
मंजरी चतुर्वेदी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष
से बात की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
प्रश्न: आप हरियाणा से हैं, जहां किसान आंदोलन का बड़ा असर देखा जा रहा है। आंदोलन खत्म हो, इसके लिए आपकी नजर में क्या रास्ता हो सकता है?
कुमारी शैलजा: मोदी सरकार को किसानों का भरोसा जीतना होगा। सरकार की नीयत पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि इसने अभी तक जितने भी काम किए हैं, वे सब कॉरपोरेट के हितों को ध्यान में रखकर किए हैं। किसान बिल लाने से पहले आपने कॉरपोरेट से तो बात कर ली, लेकिन किसानों को भरोसे में नहीं लिया।
प्रश्न:
लेकिन आपकी ही पार्टी के नेताओं के पहले के कई ऐसे बयान सामने आ चुके हैं, जिनमें वे लगभग उन्हीं बातों की मांग कर रहे हैं, जिनका प्रावधान नए किसान कानून में है। फिर आपका विरोध क्यों?
कुमारी शैलजा:आज बीजेपी हमारे घोषणापत्र की दुहाई देकर हम पर आरोप लगा रही है, तो उसे यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उसने हमारे घोषणापत्र को लागू करने का बीड़ा उठा रखा है? अगर ऐसा है तो उसे सबसे पहले हमारे घोषणापत्र के उस वादे को पूरा करना चाहिए, जिसमें हमने हर गरीब परिवार को न्यूनतम आमदनी योजना के तहत 72 हजार रुपये सालाना देने की बात कही थी।
प्रश्न: किसान आंदोलन चल रहा है। खुद कांग्रेस का स्थापना दिवस था। ऐसे में राहुल गांधी के विदेश चले जाने को क्या औचित्यपूण माना जा सकता है?
कुमारी शैलजा: बीजेपी की पुरानी आदत है कि जब वह बैकफुट पर होती है, तो पर्सनल अटैक करने लगती है। विपक्ष में अगर किसी ने नए कृषि कानूनों का सबसे पहले और सबसे मुखर विरोध किया, तो वह राहुल गांधी ही हैं। अगर चार दिनों के लिए वे फिजिकली यहां मौजूद नहीं हैं तो क्या हुआ, वे लगातार आवाज उठा रहे हैं। पूरी कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है।
प्रश्न:
लेकिन राहुल गांधी की छवि को तो नुकसान पहुंचा? उन्हें ‘पार्ट टाइम’ पॉलिटिक्स करने वाला नेता कहा जा रहा है?
कुमारी शैलजा: जिस तरह से प्रधानमंत्री विदेश जाया करते हैं, जिस तरह से वे अपने नाम लिखे हुए कपड़े पहना करते हैं, क्या उसमें गंभीरता है? जिस तरह से वे अपना रूप बदलते रहते हैं, क्या उसमें गंभीरता दिखाई देती है?
प्रश्न:
वैसे क्या वजह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस पटरी पर लौटती नहीं दिखती?
कुमारी शैलजा: कांग्रेस एक पुरानी पार्टी है, जो सियासी आंदोलन से उपजी है। हम कार्ड होल्डर नहीं, लोगों से जुड़े हुए लोग हैं। जब हमें लोगों का समर्थन नहीं मिलता, तो हम वापस लोगों के बीच जाते हैं और मेहनत करते हैं। लोग कांग्रेस को दोबारा लेकर आते हैं।
प्रश्न:
लेकिन पार्टी के 23 सीनियर नेताओं ने भी पार्टी की मौजूदा स्थिति पर अपनी चिंता जताई है?
कुमारी शैलजा: ऐसा नहीं हो सकता कि पार्टी जब चढ़ाव पर हो तो सब उसका हिस्सा बनें और उतार पर हो उंगलियां उठाने लगें। आज जो लोग मुखर हैं, उनमें से कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी के अच्छे समय में सत्ता का सुख भोगा है। बेहतर होगा कि इस तरह की बातें करने के बजाय सब पार्टी को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें।
प्रश्न:
राज्यों में क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस से फायदा कम, नुकसान ज्यादा दिखने लगा है। क्या यह कांग्रेस की स्वीकार्यता के लिए खतरा नहीं है?
कुमारी शैलजा: कांग्रेस की विचारधारा देशभक्ति से जुड़ी है। कांग्रेस और आजादी की लड़ाई देश में साथ-साथ आगे बढ़ी है। हम छद्म राष्ट्रवाद की बात नहीं करते। कुछ लोग देश में राष्ट्रवाद की एक आर्टिफिशल परिभाषा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। आप हमारे साथ हैं तो देशभक्त हैं और विरोधी हैं तो देशद्रोही। ऐसी देशभक्ति इस देश की संस्कृति और माटी से मेल नहीं खाती।
प्रश्न:
वैसे इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस गुटबाजी का शिकार है। हरियाणा को लेकर कहा जाता है कि कांग्रेस में जितने नेता, उतने खेमे हैं। क्या यह सच नहीं है?
कुमारी शैलजा: वहां खेमेबाजी की बात लोग इसलिए कह देते हैं क्योंकि वहां सब नेता एक से एक दिग्गज हैं। बीजेपी जैसा हाल नहीं है कि किसी को भी कठपुतली की तरह बैठा दिया जाता हो। हरियाणा में हमारे जो सीएम हैं, उन्हें कुर्सी पर बैठने से पहले राजनीतिक रूप से कोई जानता था? क्या वे सीएम बनने से पहले किसी जन आंदोलन का हिस्सा बने थे?
प्रश्न:
शहरी निकाय चुनाव के नतीजों के बाद आपकी ही पार्टी के पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा था कि अगर शैलजा मुझे बुलातीं, तो मैं उनके इलाके में जाता। क्या यह खेमेबाजी की ओर इशारा नहीं करता?
कुमारी शैलजा: आपने जिन नेता की बात कही, वे हमारे सीनियर और समझदार नेता हैं। मुझे लगता है कि वे जो भी बयान देते होंगे, वह अपने विवेक से देते होंगे। जहां तक बुलाने की बात है तो मैंने सभी को आमंत्रित किया था।