नए साल के तीसरे दिन जब बाकी पूरी दुनिया वर्ष 2021 का स्वागत करने के बाद इस उधेड़बुन में लगी थी कि आने वाला साल दरअसल पिछले का ही विस्तार है या इसमें कुछ नया, कुछ अनूठा भी है, तब निर्वासित तिब्बतियों का छोटा सा समुदाय लोकतंत्र के उस दीये की लौ बरकरार रखने में जुटा था जो बड़ी मुश्किलों से दलाई लामा ने उसके भीतर प्रज्जवलित किया है। तीन जनवरी को तिब्बती समुदाय की राजधानी मानी जाने वाली धर्मशाला समेत दुनिया भर में फैले तिब्बतियों ने अपना अगला सिक्यॉन्ग (तिब्बत की निर्वासित सरकार का प्रमुख) और 17वीं संसद के सदस्य चुनने के लिए वोट दिए।