ग्लोबल वॉर्मिंग का असर: यूरोप के लिए 2020 रहा सबसे गर्म साल, 2021 में भी राहत के आसार नहीं

बर्लिन
ग्लोबल वॉर्मिंग का असर भारत और चीन में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में दिखने लगा है। यूरोपीय संघ की जलवायु निगरानी सेवा द्वारा शुक्रवार को प्रकाशित किए गए आंकड़ों के अनुसार 27 देशों वाले संगठन के लिए 2020 सबसे गर्म वर्ष रहा। आंकड़ों में कहा गया है कि जबसे जलवायु संबंधी रिकॉर्ड रखने की शुरुआत हुई है, उसके बाद से पिछला साल यूरोपीय संघ के लिए सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया।

2020 में टूटा तापमान का रिकॉर्ड
यूरोपीय संघ की ‘कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस’ ने कहा कि यूरोप में पिछले साल के तापमान ने 0.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ 2019 के तापमान के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। विश्व में तापमान में वृद्धि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि की वजह से हो रही है जिनमें सबसे प्रमुख कार्बन डाई ऑक्साइड है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 पूर्व औद्योगिक काल 1850-1900 के तापमान के मुकाबले 1.25 सेंटिग्रेड अधिक गर्म रहा।

कैसा रहेगा 2021?
दरअसल जिस तरह से ग्लोबल इनवॉयरमेंट बदल रहा है उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि 2021 में सब कुछ सामान्य तो नहीं ही होने वाला है। जिस तरह जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों का पिघलना लगातार जारी है उससे तो यही लगता है कि 2021 भी गर्म साल की लिस्ट में शुमार हो सकता है। यूरोप में भी साल दर साल गर्मी में इजाफा हो रहा है।

भारत के लिए भी 2020 रहा आठवां सबसे गर्म साल
साल 2020 भारत में 1901 के बाद से 8वां सबसे गर्म साल दर्ज किया गया। भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि इससे पहले भारत में 2016 सर्वाधिक गर्म वर्ष दर्ज किया गया था। अब सवाल उठता है कि क्या नया साल कि साल 2021 में मौसम इसी तरह की बेरुखी दिखाएगा या फिर हालात कुछ सामान्य की ओर बढ़ेंगे। मौसम विभाग ने 2020 के दौरान भारत की जलवायु संबंधी एक बयान में कहा कि वर्ष के दौरान देश में औसत वार्षिक तापमान सामान्य से 0.29 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यह आंकड़ा 1981-2010 के आंकड़ों पर आधारित है।

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