() के साथ बैठक में जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को पूरी सक्रियता के साथ तेजी से आगे बढ़ाने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया। अर्थशास्त्रियों ने देश में निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए सरकार को सलाह दी कि उसे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतों के फैसलों को चुनौती दिए जाने से भी बचना चाहिए।
पीएम मोदी (PM Modi) के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बजट से पहले की बैठक में अर्थशास्त्रियों ने यह भी कहा कि सरकार को 2021- 22 के आगामी बजट में राजकोषीय घाटे के प्रति उदार रुख अपनाना चाहिए। इस समय कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान के लिए खर्च बढ़ाना जरूरी है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में भाग लेने वालों ने सरकार से निर्यात बढ़ाने और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने वाली नीतियों को अपनाने का आग्रह किया।
‘ढांचागत सुधारों के बावजूद देश में बड़ी मात्रा में निवेश नहीं आ पाया’
उनका कहना था कि विभिन्न क्षेत्रों में कई तरह के ढांचागत सुधारों के बावजूद बड़ी मात्रा में निवेश नहीं आ पाया है। बैठक में मौजूद रहे एक सूत्र ने कहा, “निवेशकों का विश्वास बढ़ाने की जरूरत है। सरकार को हर चीज (अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतों के फैसलों जैसे) को चुनौती देने से बचना चाहिए। यह काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई तरह के सुधार उपाय किए जाने के बावजूद निवेशक अभी भी भारत में निवेश करने से हिचकते हैं।”
जीडीपी के समक्ष टैक्स के औसत को भी बढ़ाने पर जोर
बैठक में उपस्थित वक्ताओं ने देश की जीडीपी के समक्ष टैक्स के औसत को भी बढ़ाए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह औसत 2008 से कम हो रहा है। सरकार को आयात शुल्क को तर्कसंगत बनाने और बैंकों के पुनिर्पूंजीकरण पर ध्यान देना चाहिए। कुछ वक्ताओं ने जरूरत पड़ने पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण और संपत्तियों की बिक्री के लिए अलग मंत्रालय बनाने का भी सुझाव दिया।
बैठक में मौजूद थीं ये हस्तियां
बैठक में अरविंद पनगढ़िया, के वी कामत, राकेश मोहन, शंकर आचार्य, शेखर शाह, अरविंद विरमानी और अशोक लाहिड़ी जैसे प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ ही अन्य लोग भी शामिल थे। इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, योजना राज्यमंत्री इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और नीति आयोग के सीईओ अमिताथ कांत भी बैठक में उपस्थित थे।
2021- 22 के आम बजट से पहले हुई सरकार और अर्थशास्त्रियों के बीच बैठक
यह बैठक एक फरवरी को पेश होने वाले 2021- 22 के आम बजट से पहले हो हुई है। इस लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण बैठक है। इसमें दिए गए सुझावों को आगामी बजट में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि कुछ अर्थशास्त्रियों ने निर्यात प्रोत्साहनों पर ध्यान देने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाये जाने पर जोर दिया।