कोरोना ने छीन लिया मोक्ष का अधिकार! बंद हुआ काशी के 'मुक्ति भवन' का द्वार

अभिषेक जायसवाल, वाराणसी
भगवान भोले के त्रिशूल पर बसी काशी एकमात्र ऐसा शहर है जो मोक्ष प्राप्ति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। मान्यता है कि काशी में मृत्यु से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि जीवन के अंतिम समय में देश के अलग-अलग राज्यों से लोग काशी आते हैं। ‘मुक्ति भवन’ के कमरों में जीवन के अंतिम समय को वे परिवार के सदस्यों के साथ बिताते हैं। मृत्यु के बाद काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर उनके परिजन उनका अंतिम संस्कार करते हैं। लेकिन पूरी दुनिया में कोहराम मचाए कोरोना ने लोगों से मुक्ति का अधिकार भी छीन लिया।

वाराणसी के मिसिर पोखरा इलाके में स्थित मुक्ति भवन को कोरोना के कहर के कारण अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया। बीते 9 महीनों से मुक्ति भवन के कमरों में ताले लगे हैं।
एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में ‘काशी लाभ मुक्ति भवन’ के मैनेजर अनुराग हरि शुक्ल ने बताया कि ट्रस्ट के सदस्यों ने कोरोना को देखते हुए मुक्ति भवन को अगले आदेश तक बंद करने का फैसला किया है।

नही है जांच की व्यवस्था
वाराणसी के इस भवन में जीवन के अंतिम समय में लोग अपने परिवार के साथ बिताते हैं। कोरोना काल के दौरान कोरोना जांच और मेडिकल की सुविधा न होने के कारण इसे अस्थाई तौर पर बन्द कर दिया गया। स्थिति सामान्य होने के बाद ट्रस्ट के मेंबर इसे खोलने पर फैसला करेंगे। बताते चलें कि वाराणसी के इस मुक्ति भवन का संचालन दिल्ली की संस्था डालमिया चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से किया जाता है।

काशी में मृत्यु से मिलता है मोक्ष
BHU के प्रफेसर डॉ सुभाष पांडेय ने बताया कि काशी भगवान शिव की नगरी है। यहां देह त्यागने वालों को भगवान शिव खुद कान में तारक मंत्र देते हैं, जिससे मनुष्य जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। अंतिम समय में काशी वास करने वाले लोगों को गंगाजल का सेवन और भगवान शिव की प्रार्थना जरूर करनी चाहिए।

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