पैंगोंग के किनारे भारत ने दूसरी बार पकड़ा चीनी सैनिक तो नरम हुआ ड्रैगन, बोला- रास्ता खो गया था जवान

पेइचिंग
लद्दाख में जारी तनाव के बीच भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के पास चीन के एक सैनिक को सीमा पार करने के बाद पकड़ा है। पिछले तीन महीने में दूसरी बार के भारतीय इलाके में पकड़े जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हैं। इसके बाद भारत को बार-बाद जंग की धमकी देने वाला चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के सुर नरम पड़ गए हैं। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि पीएलए का यह जवान गलती से एलएसी को पार कर भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था।

चीनी मीडिया बोली- बात कर रहे हैं दोनों देश
चीनी सेना के अधिकारियों के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि दोनों देश चीनी सैनिक के पकड़े जाने के बाद की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं। उसने यह भी कहा कि पीएलए के जवान को पकड़े जाने की खबर हमें भारतीय पक्ष के जरिए मिली थी। जिसके बाद से ही दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है।

प्रोटोकॉल के अनुसार किया जा रहा व्यवहार
बताया जा रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारत की ओर वाले हिस्से में आ गया था। जहां भारतीय क्षेत्र में तैनात सैनिकों ने उसे हिरासत में ले लिया। सूत्रों ने कहा कि पीएलए के पकड़े गए सैनिक के साथ तय प्रक्रियाओं के मुताबिक व्यवहार किया जा रहा है तथा इसकी जांच की जा रही है कि उसने किन परिस्थितियों में एलएसी पार की।

अक्टूबर में भी भारत ने पकड़ा था चीनी सैनिक
इससे पहले अक्टूबर में भी ने लद्दाख के डेमचॉक एरिया में एक चीनी सैनिक वांग या लांग को पकड़ा था। वह चीनी सेना में कॉरपोरल रैंक पर कार्यरत था। तब चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने बताया था कि वह यॉक की खोज करते हुए गलती से बॉर्डर पार कर गया था। हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने यह नहीं बताया था कि चीनी सैनिक ड्यूटी के दौरान यॉक क्यों चरा रहा था।

कड़ाके की ठंड में डटे हुए हैं सैनिक
वर्तमान समय में भारतीय सेना के लगभग 50,000 सैनिक शून्य से नीचे के तापमान में पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पहाड़ी स्थानों में युद्ध के लिए तैयार स्थिति में तैनात हैं। दोनों पक्षों के बीच कई दौर की वार्ता के बावजूद गतिरोध दूर करने के लिए कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। चीन ने भी उतनी ही संख्या में अपने सैनिक तैनात किये हैं। पिछले महीने, भारत और चीन के बीच भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत कूटनीतिक वार्ता का एक और दौर आयोजित हुआ था।

आठ दौर की वार्ता के बाद भी नहीं निकला समाधान
दोनों पक्षों के बीच आठवें और आखिरी दौर की सैन्य वार्ता छह नवंबर को हुई थी, जिस दौरान दोनों पक्षों ने पर्वतीय क्षेत्र में टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी पर व्यापक चर्चा की थी। भारत का लगातार यह कहना है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव के बिंदुओं पर तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी चीन पर है। छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने कई फैसलों की घोषणा की थी जिसमें और सैनिकों को अग्रिम क्षेत्र में नहीं भेजना, एकतरफा रूप से जमीन पर स्थिति को बदलने से बचना और ऐसे कार्यों को करने से बचना जिससे मामला और जटिल हो जाए।

राजनयिक स्तर पर भी बातचीत जारी
वार्ता का यह दौर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के इतर 10 सितंबर को मॉस्को में एक बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए पांच-बिंदु समझौते को लागू करने के तरीकों का पता लगाने के एक विशिष्ट एजेंडे के साथ आयोजित किया गया था। इस सहमति में सैनिकों की त्वरित वापसी, तनाव को बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना, सीमा प्रबंधन से जुड़े सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना शामिल था।

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