चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में मुद्रा प्रसार में 3.23 लाख करोड़ रुपये वृद्धि

मुंबई, 10 जनवरी (भाषा) चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में मुद्रा चलन में करीब 13 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच लोगों ने एहतियाती उपाय के रूप में नकदी रखने को तरजीह दी जिसके कारण इसमें बढ़ोतरी हुई। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े के अनुसार मुद्रा संचलन एक जनवरी, 2021 को 3,23,003 करोड़ रुपये यानी 13.2 प्रतिशत बढ़कर 27,70,315 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह 31 मार्च, 2020 को 24,47,312 करोड़ रुपये रहा था। वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान इसमें करीब 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अब तक मुद्रा का चलन ऊंचा रहा है। इसका कारण लोग ‘लॉकडाउन’ के दौरान किसी भी प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिये नकदी अपने पास रखने को तरजीह दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘जब कभी संकट जैसी स्थिति होती है, परिवार की प्रवृत्ति अधिक-से-अधिक नकदी अपने पास रखने की होती है। यह कुछ और नहीं बल्कि एहतियाती उद्देश्य होता है…।’’ आरबीअई ने अगस्त 2020 में जारी 2019-20 की अपनी सालाना रिपोर्ट में भी कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण अनिश्चितताओं को देखते हुए मुद्रा की मांग बढ़नी शुरू हो गयी है। वर्ष 2020 के दौरान मुद्रा संचलन 22.1 प्रतिशत यानी 5,01,405 करोड़ रुपये बढ़कर 27,70,315 करोड़ रुपये पहुंच गया। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2020 तक आर्थिक तंत्र में प्रचलन वाली मुद्रा में मूल्य के हिसाब से 500 और 2,000 रुपये के नोट की हिस्सेदरी 83.4 प्रतिशत थी। इसमें 500 रुपये के बैंक नोट की हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी।

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