मुरादनगर श्‍मशान हादसा: 'भैया, मलबे में दबा हूं, जल्‍दी पहुंचकर बचा लो', 14 साल के अंश ने भाई को फोन कर मांगी थी मदद

गाजियाबाद
मुरादनगर श्‍मशान घाट हादसे में 14 साल के एक बच्चे की हिम्‍मत की चर्चा हर जगह हो रही है। नौवीं क्लास में पढ़ने वाला अंश भी इस हादसे का शिकार हुआ था। अंश अपने पड़ोसियों के साथ एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्‍मशान घाट आया हुआ था। इस दौरान बरामदे का लिंटर गिरने से वह भी मलबे के नीचे दब गया। जब उसे होश आया तो आसपास कई लाशें पड़ी हुई थीं। किसी तरह हिम्‍मत बटोरकर उसने अपने भाई को फोन कर मौके पर बुलाया। भाई ने अन्‍य लोगों की मदद से उसे मलबे से बाहर निकाला तब जाकर उसकी जान बची। गत 3 जनवरी को हुए इस दर्दनाक हादसे में 24 लोगों की मौत हो गई थी।

उस हादसे को याद करते हुए आज भी अंश के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उसने बताया कि मलबे में दबने के बाद किसी तरह उसने अपने भाई को फोन लगाया। उसने भाई से कहा- ‘भैया मैं मलबे के नीचे फंसा हुआ हूं। जल्दी पहुंचकर मुझे बचा लो।’ भाई को आने में कुछ देर लगी तो अंश ने खुद को मलबे से बाहर निकालने की कोशिश की। अंश ने बताया कि जब उसने आसपास नजर घुमाई तो पास में ही उसके अंकल का शव पड़ा हुआ था। उसने अंकल को उठाने की कोशिश की, लेकिन उनके मुंह से बहता हुआ खून देखकर समझ गया कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसके बाद मलबे के नीचे से ही किसी तरह वह किनारे तक पहुंचा और शोर मचाकर लोगों से मदद मांगी। इस हादसे के बाद अंश कई दिनों तक दहशत में रहा। वह किसी से कुछ बता भी नहीं पा रहा था।

माता-पिता को है अंश पर गर्व
अंश के पिता यशपाल ने बताया कि वह पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। जैसे ही उन्होंने हादसे के बारे में सुना तो जल्‍दी से घर पहुंचे और भगवान से अंश के ठीक होने को लेकर प्रार्थना की। उन्‍होंने कहा कि अंश के चारों तरफ लाशों का ढेर लगा था, बावजूद इसके उसने हिम्‍मत दिखाते हुए अपने भाई को फोन लगाया। अंश के साथ और भी कई लोगों को मलबे से निकाला गया और उनकी जान बची। मां वीना का कहना है कि उन्हें अपने बेटे के हिम्मत पर गर्व है। उनका बेटा बचपन से ही आर्मी में जाना चाहता है।

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