सितंबर से अब तक करीब 25 विजिट
भारतीय सेना ने कुछ वक्त पहले एक स्टडी की थी जिसके मुताबिक आतंक की राह पर जाने वालों में 30 पर्सेंट 16 से 20 साल के, 60 पर्सेंट 21 से 25 साल के हैं। आतंकियों का ज्यादा रिक्रूटमेंट साउथ कश्मीर में हो रहा है। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि साउथ कश्मीर में जमातियों का ज्यादा प्रभाव है।
सेना ने यहां सितंबर से बंद दरवाजे खोलने का अभियान शुरू किया। इसके तहत बच्चों को सेना के कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) में विजिट कराया जा रहा है। सितंबर से अब तक ऐसे करीब 25 विजिट हो गए हैं और हर ग्रुप में करीब 20-25 बच्चे शामिल रहे। इससे बच्चों को सेना को करीब से जानने का मौका मिल रहा है। इस तरह के विजिट कंपनी स्तर से लेकर सीनियर स्तर तक भी हो रहे हैं। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक युवाओं से बातचीत कर समाज की नब्ज पता चलती है और जमीनी स्तर का सही फीडबैक मिलता है।
राब्ता से रिश्ते
भारतीय सेना ने इसी साल 1 जनवरी से अनंतनाग में एक कम्यु्निटी रेडियो की शुरूआत की है। इसका नाम राब्ता रखा गया है। उसमें युवाओं के पसंद के गाने बजाने के अलावा मौसम से जुड़ी, रोड सेफ्टी से जुड़ी जानकारियां दी जा रही हैं। ज्यादा लोग इसे सुनें इसके लिए अब स्थानीय लोगों के इंटरव्यू लेकर इन्हें रेडियो पर चलाया जा रहा है। अनंतनाग के ही दो युवा इसमें आरजे हैं।
साउथ कश्मीर का पूरा एरिया 14 हजार स्कवायर किलोमीटर का है जिसकी आबादी करीब 44 लाख है। इसमें 20 पर्सेंट युवा हैं जो टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करते हैं और सोशल मीडिया से प्रभावित होते हैं। पाकिस्तान लगातार इन्हें बरगलाने की कोशिश करता है। इसलिए सेना लगातार युवाओं के संपर्क में रहने की कोशिश कर रही है ताकि वह गलत राह पर न जाएं। आतंक की राह पर गए युवा मुख्य धारा में वापस आ जाएं इसकी भी लगातार कोशिश हो रही है। विक्टर फोर्स के जीओसी मेजर जनरल रशिम बाली ने बताया कि सिंतबर से अब तक एनकाउंटर के दौरान ही 7 आतंकी सरेंडर कर चुके हैं।
खैरियत पट्रोलिंग के जरिए बन रहे हमसाया
भारतीय सेना की टीम कश्मीर में दूर दराज के इलाकों में लगातार खैरियत पट्रोलिंग भी कर रही है और जरूरतमंदों तक मदद पहुंचा रही है। इस मौसम में जब बर्फबारी से लोगों का बाहर निकलना भी मुश्किल हो रहा है ऐसे में जरूरतमंदों तक बेसिक मेडिकल हेल्प घर पर ही पहुंच जाए इसकी कोशिश भी सेना कर रही है। सेना की टीम लोगों को दवाई दे रही है साथ ही हमसाया बनकर इमरजेंसी में उन्हें हॉस्पिटल भी पहुंचा रही है। पिछले हफ्ते ही कुपवाड़ा में सेना के जवानों ने घुटनों तक जमी बर्फ में दो किलोमीटर चलकर एक गर्भवती महिला को हॉस्पिटल पहुंचाया।