ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन के लिए भारत कारोबारी भागीदार ही नहीं बल्कि प्रतिद्वंद्वी भी है : रिपोर्ट

लंदन, 11 जनवरी (भाषा) ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन की वैश्विक नीति में भारत को महज महत्वपूर्ण वाणिज्यिक हितों के लिए नहीं बल्कि उसे प्रतिद्वंद्वी के तौर पर भी देखना चाहिए। यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर होने के बाद ब्रिटेन के भविष्य को लेकर सोमवार को जारी एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट में यह बात कही गयी। थिंकटैंक चैटम हाउस- रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स द्वारा तैयार ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटेन के भविष्य का खाका’ रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन दुनिया के उदारवादी लोकतंत्र के साथ तालमेल के लिए ध्यान केंद्रित करे और यूरोपीय संघ तथा उसके सदस्यों के साथ ही अमेरिका के साथ तालमेल बनाए रखे। थिंक टैंक ने कहा है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया पहले से ही ब्रिटेन और अमेरिकी गठबंधन ढांचे का हिस्सा हैं। इसके विपरीत ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ के मूल लक्ष्यों में चीन, भारत, सऊदी अरब और तुर्की, ब्रिटेन के वाणिज्यिक हितों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं लेकिन वे प्रतिद्वंद्वी भी रहेंगे । थिंक टैंक ने ब्रिटेन के लिए भारत के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि बहुत जल्द आबादी के हिसाब से दुनिया का यह सबसे बड़ा और तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। थिंक टैंक ने दोनों देशों के बीच औपनिवेशिक इतिहास का भी हवाला देते हुए कहा कि यह प्रगाढ संबंधों में अवरोधक हो सकता है।

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