महाविनाशक ज्‍वालामुखी से निकल रहे 'भाप के बादल', फटा तो राख से ढक जाएगी पृथ्‍वी

विश्‍व के सबसे खतरनाक ज्‍वालामुखी में शुमार यलोस्‍टोन में पिछले करीब दो साल से ‘भाप के विशाल बादल’ निकल रहे हैं। अमेरिका के वयोमिंग राज्‍य में स्थित इस महाविनाशक ज्‍वालामुखी में गर्म पानी का सबसे ऊंचा वेंट है। इससे गर्म पानी और भाप का गुबार लगातार उठ रहा है। यूएस जिओलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक यह वेंट मार्च 2018 के बाद से असाधारण तरीके से बहुत ज्‍यादा सक्रिय हो गया है। इससे स्‍थानीय लोगों के मन में आशंका के बादल मंडराने लगे हैं। यह ज्‍वालामुखी कितना तबाही ला सकता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर यलोस्‍टोन में विस्‍फोट हुआ तो 90 हजार अमेरिकी लोगों की तत्‍काल मौत हो जाएगी। यही नहीं पूरी धरती राख के विशाल बादल से ढक जाएगी। आइए जानते हैं पूरा मामला…..

Yellowstone Volcano Steamboat Geyser:अमेर‍िका में स्थित यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में स्थित गर्म पानी के सबसे ऊंचे वेंट से लगातार पानी और भाप के विशाल ‘बादल’ निकल रहे हैं। यह वेंट मार्च 2018 से रहस्‍यमय तरीके से बहुत ज्‍यादा सक्रिय हो गया है।

Yellowstone Volcano: महाविनाशक ज्‍वालामुखी से निकल रहे 'भाप के बादल', फटा तो राख से ढक जाएगी पृथ्‍वी

विश्‍व के सबसे खतरनाक ज्‍वालामुखी में शुमार यलोस्‍टोन में पिछले करीब दो साल से ‘भाप के विशाल बादल’ निकल रहे हैं। अमेरिका के वयोमिंग राज्‍य में स्थित इस महाविनाशक ज्‍वालामुखी में गर्म पानी का सबसे ऊंचा वेंट है। इससे गर्म पानी और भाप का गुबार लगातार उठ रहा है। यूएस जिओलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक यह वेंट मार्च 2018 के बाद से असाधारण तरीके से बहुत ज्‍यादा सक्रिय हो गया है। इससे स्‍थानीय लोगों के मन में आशंका के बादल मंडराने लगे हैं। यह ज्‍वालामुखी कितना तबाही ला सकता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर यलोस्‍टोन में विस्‍फोट हुआ तो 90 हजार अमेरिकी लोगों की तत्‍काल मौत हो जाएगी। यही नहीं पूरी धरती राख के विशाल बादल से ढक जाएगी। आइए जानते हैं पूरा मामला…..

2018 से लेकर वर्ष 2020 तक वेंट में 128 बड़े विस्‍फोट हुए
2018 से लेकर वर्ष 2020 तक वेंट में 128 बड़े विस्‍फोट हुए

यूएसजीएस ने कहा कि इस वेंट से मार्च 2018 के बाद से रेकॉर्ड तेजी के साथ गर्म पानी और भाप निकल रहा है। यलोस्‍टोन नैशनल पार्क में स्थित यह वेंट दुनिया का सबसे ऊंचा सक्रिय वेंट है। यूएसजीएस ने एक शोधपत्र जारी करके बताया कि यह गर्म पानी क्‍यों न‍िकल रहा है। इस ज्‍वालामुखी पर नजर रखने वाले यूएसजीएस के विशेषज्ञों ने कहा कि मार्च 2018 से लेकर वर्ष 2020 तक इस वेंट में 128 बड़े विस्‍फोट हुए हैं। ज्‍वालामुखी के विशेषज्ञों ने लिखा है कि यह देखने में भले ही बहुत आकर्षक न हो लेकिन एक स्‍ट्रीमबोट के लिए यह अविश्‍वसनीय ऊंचाई है। गर्म पानी के इस स्रोत से अक्‍सर 380 फुट की ऊंचाई तक पानी और भाप उठती है। यलोस्‍टोन के स्‍ट्रीमबोट जलस्रोत में यह विस्‍फोट कभी कुछ सप्‍ताह में तो कभी काफी लंबे समय बाद होता है। इससे पहले 1985 से लेकर 2017 के बीच केवल 15 मौकों पर इसमें विस्‍फोट हुआ था।

​सबसे ऊंचे जलस्रोत में विस्‍फोट से टेंशन में आए लोग
​सबसे ऊंचे जलस्रोत में विस्‍फोट से टेंशन में आए लोग

यूएसजीएस के वैज्ञानिक इस ताजा विस्‍फोट पर अपनी पूरी नजर रखे हुए हैं। अमेरिकी संस्‍था ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह विस्‍फोट पृथ्‍वी की उपसतह जिसका संबंध जमीन के अंदर पानी जमा होने से होता है, में दबाव में बदलाव की वजह से हुआ है। इस बीच वैज्ञानिकों ने दुनिया को आश्‍वस्‍त किया है कि सबसे ऊंचे जलस्रोत में विस्‍फोट का मतलब यह नहीं कि यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट होने जा रहा है। इससे पहले यलोस्‍टोन पार्क जाने वाले लोग इस भाप के बादल को देखकर आशंका से घिर गए थे। उन्‍होंने कहा कि इस स्‍ट्रीम बोट जलस्रोत में अचानक से विस्‍फोट किस वजह से हुआ है, इसका अभी ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। इस तरह के विस्‍फोट कई बार घातक भी हो जाते हैं। दिसंबर 2019 में न्‍यूजीलैंड के वाइट द्वीप समूह पर हुए विस्‍फोट में 22 लोगों की मौत हो गई थी।

प‍िछले ​6 लाख साल से सो रहा है यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी
प‍िछले ​6 लाख साल से सो रहा है यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी

वयोमिंग राज्‍य में स्थित यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी पिछले 6 लाख साल से शांत है लेकिन वैज्ञानिकों को भय सता रहा है कि यह सो रहा ‘राक्षस’ कभी भी जाग सकता है और तबाही ला सकता है। उन्‍होंने कहा कि अगर यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट हुआ तो पूरी दुनिया में अराजकता फैल जाएगी। ब्रिटिश अखबा डेली एक्‍सप्रेस के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहा कि यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी के नीचे लाखों साल से दबाव बन रहा है। उन्‍होंने कहा कि अगर ज्‍वालामुखी के नीचे गर्मी बढ़ती रही तो ज्‍वालामुखी उबलना शुरू हो जाएगा और जमीन के अंदर चट्टानें पिघलना शुरू हो जाएंगी। पृथ्‍वी के कोर से गर्मी बढ़ती रही तो यह मैग्‍मा, चट्टान, भाप, कार्बन डाई ऑक्‍साइड और अन्‍य गैसों का मिश्रण बना देगा। इसके बाद जमीन के अंदर एक गुबार बन जाएगा और जमीन उठ जाएगी जो द‍िखाई भी देगी। इसे देखकर लगेगा कि यह फटने वाला है।

​यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी फटा तो दुनिया में आ जाएगा ‘प्रलय’
​यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी फटा तो दुनिया में आ जाएगा 'प्रलय'

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यलो स्‍टोन ज्‍वालामुखी फटा तो ‘प्रलय’ आ जाएगा और 90 हजार लोग तो तत्‍काल मारे जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि 90 हजार लोगों की मौत तो बस एक शुरुआत होगी। इसके बाद तबाही का तूफान आ जाएगा। इस महाविस्‍फोट से 1600 किलोमीटर के इलाके में पूरी पृथ्‍वी के ऊपर मैग्‍मा की तीन मीटर पर‍त फैल जाएगी। इसका अर्थ यह होगा कि बचावकर्मियों को विस्‍फोट के स्‍थल तक पहुंचने के लिए भी संघर्ष करना होगा। इससे और ज्‍यादा लोगों की जान खतरे में आ जाएगी। यही नहीं ज्‍वालामुखी से निकलने वाली राख जमीन से घुसने के सभी रास्‍तों को बंद कर देगी। राख और गैस से पूरा वातावरण भर जाएगा और विमान उड़ान नहीं भर पाएंगे। यह कुछ उसी तरह से होगा जैसे आइसलैंड में वर्ष 2010 में एक ज्‍वालामुखी के छोटे से विस्‍फोट के दौरान हुआ था।

​ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट से पृथ्‍वी पर आएगी ‘परमाणु ठंड’
​ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट से पृथ्‍वी पर आएगी 'परमाणु ठंड'

यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी के फटने के बाद धरती पर ‘परमाणु ठंड’ आ जाएगी। परमाणु ठंड उस स्थिति को कहा जाता है जब बहुत ज्‍यादा राख और मलबा पृथ्‍वी के वातावरण में पहुंच जाता है। इससे पृथ्‍वी के जलवायु में परिवर्तन आ जाएगा क्‍योंकि ज्‍वालामुखी के फटने से बहुत बड़े पैमाने पर सल्‍फर डॉई ऑक्‍साइड वातावरण में पहुंच जाएगा। इससे सल्‍फर एरोसोल पैदो हो जाएगा और यह सूरज की रोशनी को परावर्तित कर देगा तथा उसे अपने अंदर निगल जाएगा। इसके परिणामस्‍वरूप पृथ्‍वी पर तापमान में भारी कमी आ जाएगी। इससे फसले बढ़ेंगी नहीं और अंतत: बड़े पैमाने पर दुनियाभर में भुखमरी पैदा हो जाएगी। वैज्ञानिकों ने कहा कि अच्‍छी बात यह है कि यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी के फटने की संभावना बहुत ही कम है और व्‍यवहारिक रूप से संभव नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *