अंगूर खट्टे हैं… जानिए ब्रिटिश थिंकटैंक ने भारत को चीन, तुर्की, सऊदी के साथ क्‍यों रखा

नई दिल्‍ली
ब्रेक्जिट के बाद, भारत और यूनाइटेड किंगडम के रिश्‍ते एक तरह से रीसेट हो रहे हैं। इस बीच एक प्रमुख ब्रिटिश थिंकटैंक ने यूके सरकार को चेताते हुए कहा है कि वह भारत से ज्‍यादा उम्‍मीदें न रखे। चैटम हाउस की नई रिपोर्ट कहती है कि “भारत को वह अटेंशन देनी चाहिए जिसका वो हकदार है, लेकिन यूके सरकार को यह स्‍वीकार करने की जरूरत है कि इस रिश्‍ते से सीधा फायदा, चाहे वह आर्थिक तौर पर हो या कूटनीतिक तौर पर, होना मुश्किल है।” ‘ग्‍लोबल ब्रिटेन, ग्‍लोबल ब्रोकर’ शीर्षक से छपी यह रिपोर्ट सवाल खड़े करती है कि क्‍या यूके अपनी ताकतों के बावजूद, दुनिया पर अपने कम होते प्रभाव को रोक पाएगा। रिपोर्ट में भारत को उन चार ‘मुश्किल’ देशों की सूची में डाला गया है जो यूके लिए ‘प्रतिद्वंदी’ साबित होंगे। इसके अलावा भारत की घरेलू राजनीति को भी एक अड़चन बताया गया है।

‘भारत से उम्‍मीदें ज्‍यादा, असल फायदा कम’अपनी रिपोर्ट में चैटम हाउस ने लिखा है कि यूके को ‘रणनीतिक फोकस में बदलाव’ लाने की जरूरत है। इसमें भारत को चीन, सऊदी अरब और तुर्की के साथ रखते हुए इन चारों को ‘डिफिकल्‍ट फोर’ बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार को भारत के साथ मजबूत संबंध विकसित करने की दिशा में वास्‍तविकता समझते हुए लक्ष्‍य निर्धारित करने चाहिए। रिपोर्ट कहती है, “यूके के लिए भारत जरूरी है… लेकिन अबतक यह साफ हो जाना चाहिए था कि भारत के साथ और गहरे रिश्‍तों का विचार हमेशा हकीकत से ज्‍यादा फायदे की बात करता है। ब्रिटिश शासनकाल की विरासत लगातार रिश्‍तों में बाधा बनती रही है। इसके मुकाबले, अमेरिका भारत का सबसे अहम रणनीतिक साझेदार बन गया है। हाल के अमेरिकी प्रशासनों ने द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों को और मजबूत किया है जिससे यूके किनारे हो गया है।”

बीजेपी राज में कमजोर हो रहे मुस्लिमों के अधिकार: थिंकटैंकरिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि भारत की ‘जटिल, बिखरी हुई घरेलू राजनीति ने उसे मुक्‍त व्‍यापार और विदेशी निवेश का सबसे ज्‍यादा प्रतिरोध करने वाले देशों में से एक बना दिया है।’ थिंकटैंक कहता है, “सत्‍ताधारी भारतीय जनता पार्टी का प्रत्‍यक्ष हिंदू राष्‍ट्रवाद मुसलमानों और अन्‍य अल्‍पसंख्‍यक धार्मिक समूहों के अधिकारों को कमजोर कर रहा है, जिससे ऐसी चिंताओं को बल मिला है कि नेहरू से विरासत में मिले एक सेक्‍युलर, लोकतांत्रिक भारत की जगह असहिष्‍णु बहुसंख्‍यकवाद ले रहा है।”

भारत के खिलाफ एक से एक टिप्‍पणियांइस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की लोकतांत्रिक देशों का क्‍लब D10 बनाने की पहल की भी आलोचना की गई है। इसमें भारत को शामिल करने पर थिंकटैंक ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि है कि ‘D10 में भारत में इस वक्‍त शामिल करने से नीति या किसी संयुक्‍त कार्रवाई पर कोई सार्थक सहमति बनना मुश्किल हो जाएगा। भारत का एक लंबा इतिहास रहा है कि वह ‘पश्चिमी’ कैंप में शामिल होने का प्रतिरोध करता आया है। उसने शीत युद्ध के समय गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्‍व किया और 2017 में औपचारिक रूप से चीन और रूस के नेतृत्‍व वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शामिल हो गया।’

कूटनीतिक व्‍यवहार को लेकर भी निशानारिपोर्ट भारत के कूटनीतिक व्‍यवहार को भी आड़े हाथों लेती है। इसमें कहा गया है कि चीन के साथ सीमा पर झड़पों के बावजूद, “भारत उन देशों के समूह में शामिल नहीं हुआ जिसने शि‍नजियांग में मानवाधिकार उल्‍लंघन को लेकर जुलाई 2019 में यूएन के भीतर चीन की आलोचना की थी। भारत ने हांगकांग में नए सुरक्षा कानून के पारित होने की आलोचना भी नहीं की। घरेलू राजनीति राष्‍ट्रवादी चरण में प्रवेश कर चुकी है, ऐसे में D10 शायद भविष्‍य में D9 की तरह काम करता नजर आए।”

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