Bihar News : क्या बिहार में जर्जर हो चुकी कांग्रेस खंडहर में तब्दील हो जाएगी ?

नीलकमल, पटना

बिहार कांग्रेस में कलह को ठीक करने पटना पहुंचे नवनियुक्त भक्तचरण दास के सामने ही बैठक में जमकर मारपीट और हंगामा हुआ। मारपीट हुई तो हुई लेकिन लात घुंसे चलने के बाद नए बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने भी यह कह कर चौंका दिया कि उनके पास, बिहार में मीटिंग के दौरान हंगामा और मारपीट का पुराना अनुभव है।

दिल्ली लौटने से पहले भक्त चरण दास ने कहा बाहरी लोगों ने किया था हंगामा
बिहार कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा कि फिलहाल यह पहचान की जा रही है कि पार्टी में कितने ऐसे लोग हैं जो अनुशासित नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान कर उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बिहार कांग्रेस प्रभारी ने कहा कि हंगामा करने वाले लोग कांग्रेस के नहीं बल्कि बाहरी लोग थे। उन्होंने कहा कि बाहरी लोग नहीं चाहते थे कि बैठक सही ढंग से संपन्न हो सके। हालांकि भक्त चरण दास ने यह भी कहा कि बिहार में ऐसी बातें कॉमन है और उन्हें ऐसे हंगामे का पुराना अनुभव भी है। इधर पार्टी के असंतुष्ट नेता किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार शर्मा ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी पत्र के जरिए पार्टी के आलाकमान को दी है। पत्र के जरिए उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की है।

21 जनवरी से भक्त चरण दास बिहार के सभी प्रमंडल का करेंगे दौरा
बिहार कांग्रेस प्रभारी ने बताया कि वे पहले कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों में बूथ स्तर तक मजबूत करने का काम करेंगे। इसके बाद सारी क्षेत्र में भी बूथ को मजबूत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पटना के सभी 14 विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस कार्यक्रम का आयोजन कर अपनी जमीन को मजबूत करने का काम करेगी। बिहार कांग्रेस प्रभारी ने यह माना कि पहले की अपेक्षा बिहार में कांग्रेस और भी ज्यादा कमजोर हो गई है। बावजूद इसके उन्होंने कांग्रेस में किसी भी तरह से टूट की संभावना से साफ इनकार कर दिया।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक भरत सिंह ने कांग्रेस में टूट का किया था दावा
भक्त चरण दास को बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनाए जाने से ठीक दो दिन पहले कांग्रेस के ही पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता भरत सिंह ने 11 कांग्रेसी विधायकों के टूटने का दावा किया था। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी पार्टी छोड़ एनडीए का दामन थाम सकते हैं। हालांकि कांग्रेस में अंदरूनी कलह अब किसी से छिपी भी नहीं है। कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में होने वाली बैठकों में हंगामे की खबर आम हो गई है। बताया जाता है कि कांग्रेस के अंदर गुटबाजी इतनी ज्यादा है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने की कोशिश तक नहीं करते।

बिहार कांग्रेस को जल्द मिल सकता है नया प्रदेश अध्यक्ष !
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि नवनियुक्त बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के कार्य से संतुष्ट नहीं है। सूत्र द्वारा यह भी बताया गया कि दिल्ली लौटते वक्त भक्त चरण दास ने बिहार कांग्रेस के हालात की पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है। जिसे वह आलाकमान के सामने पेश करेंगे। इसके अलावा उन्होंने चुनाव के पूर्व और चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष द्वारा किए गए कार्यों का भी पूरा ब्यौरा तैयार कर लिया था। बताया गया कि नए कांग्रेस प्रभारी अब बिहार में एक नई टीम बनाकर कमजोर हो चुकी पार्टी में जान फूंकने की कोशिश करने वाले हैं। सूत्र ने यह भी बताया कि नए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भक्त चरण दास की पहली पसंद बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रेमचंद मिश्रा हो सकते हैं।

हर चुनाव के बाद कांग्रेस की हालत हो जाती है जर्जर
बिहार में भूमिहार और ब्राह्मण और मुसलमानों के सहारे दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस ने बिहार में कभी मुसलमान तो कभी दलित और कभी ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सत्ता में वापसी की राह तलाशती रही। हालांकि यह भी सच है कि कांग्रेस ने भूमिहार और ब्राह्मणों के वोट बैंक के सहारे लंबे समय तक बिहार में राज किया है। लेकिन 1990 में लालू यादव ने पिछड़े – दलित राजनीतिक चाल चल कर बिहार की सत्ता हासिल कर ली। इसके बाद लालू यादव ने कांग्रेस के ट्रेडिशनल वोटर रहे मुसलमानों के साथ भी एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण बिठाकर कांग्रेस को और भी कमजोर कर दिया। इसके बाद कांग्रेस लालू यादव की पिछलग्गू पार्टी बन गई लिहाजा उसके कोर वोटर उनसे दूर होते चले गए।

कांग्रेस के पास नही है फिल्ड में काम करने वाला नेता
बिहार विधान सभा चुनाव 2020 में कांग्रेस की सीट 27 से घटकर 19 रह गई। बिहार में चुनावी हार के लिए कांग्रेस के नेता ही दोषी है क्योंकि उनका कोई भी बड़ा नेता चुनाव के दौरान फिल्ड में दिखाई नही दिया। दरअसल कांग्रेस को इस बार 19 सीटें भी आरजेडी की वजह से ही मिली है। उत्तर बिहार में ब्राह्मण और विशेषकर ‘झा’ काफी दिनों पहले ही कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी की तरफ अपना रुख कर चुके हैं मगर कांग्रेस आज भी मानकर चलती है कि ब्राह्मण उनके साथ हैं। इसी वजह से कांग्रेस को उत्तर बिहार में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस को पसीना बहाने वाले नेता की है जरूरत
बिहार में खुद को मजबूत करने के लिए कांग्रेस को सबसे पहले वह जमीन तलाशनी होंगी जिस पर वह पसीना बहाए और वहां से फसल के रूप में उनका वोट बैंक तैयार हो। कांग्रेस को बिहार की नई पीढ़ी को बताना होगा कि कांग्रेस की विचारधारा क्या है और कांग्रेस ने बिहार के लिए क्या किया है। क्योंकि आज की पीढी ने कभी कांग्रेस के सुनहरे अतीत को नहीं देखा है। इसके साथ ही कांग्रेस को अब जात आधारित राजनीति भी छोड़नी होगी। इसलिए कि इंटरनेट के जमाने में बड़े हुए नई पीढ़ी वोटर जातपात पर ज्यादा भरोसा नही करते। यह सच है कि बिहार कांग्रेस में बदलाव के लिए यह उपयुक्त समय है क्योंकि बिहार में कांग्रेस की स्थिति शून्य ही है।

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